कमाल की निशानेबाज हो तुम, तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो।।??
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याद तो रोज करते है उन्हें , पर उन्होने कभी महसूस ही न किया.. ?
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वो भी बात करते है कदर की , जो खुद किसी की कदर नहीं करते...
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इश्क़ में इतनी बेपरवाहियाँ भी ठीक नही हैं , बात हम नही करते ...तो तकल्लुफ तुम भी नही करते...!!
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साथ बैठने की औकात नहीं थी उसकी, जिसको मैंने सर पर बिठा रखा था..!!?
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खुदा मेरे दुश्मनों को लम्बी उम्र दें ! ताकि वो मेरी क़ामयाबी देख सकें !!"
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फ़ासले तो बढ़ा रहे हो, मगर इतना याद रखना, मोहब्बत?बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती?…!!
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एक तेरी ख़ामोशी जला देती है इस पागल दिल को, बाकी तो सब बातें अच्छी हैं तेरी तस्वीर में..!!
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चाय जैसी उबल रही है ज़िंदगी मगर, हम भी हर घूँट का आनंद शौक़ से लेंगे☕
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खुद ही पागल करते हो फिर कहते हो पागल हो तुम
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जो ज़ख़्म लगे हुए हैं दिल पर उनका मर्ज़ क्या होता है महफ़िल वालों तुम क्या जानो तन्हाई का दर्द क्या होता है....
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यहाँ तो खुद से ही मिले जमाना हो गया ... और लोग कहते है कि हमें भूल गये हो तुम ...
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दिल में चाहत का होना जरूरी है…वरना, याद तो रोज दुश्मन भी करते हैं.?
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नफ़रत करना तो हमने कभी सीखा ही नहीं, मैंने तो दर्द को भी चाहा है, अपना समझ कर |?
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इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम.. अब दिल दुखाने भी नहीं आते ?
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*दोस्त बेशक एक हो* *लेकिन ऐसा हो,* *जो अलफाज से ज्यादा* *खामोशी को समझें*
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तमाशा तो सच का होता है, झूठ की तो तारीफ़ होती हैं!?
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हौसले ? का सबूत देना था, इसलिए ठोकर खाकर भी मुस्कुरा ? पड़े.
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अकेली रात बोलती बहुत है लेकिन सुन वही सकता है जो खुद भी अकेला हो
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तुम चाहते तो निभा भी सकते थे, मगर तुमने ऐसा कभी चाहा ही नहीं.
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"दुसरो को समझने से पहले खुद को समझना सिखों..!
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आज परछाई से पूछ ही लिया, क्यों चलती हो मेरे साथ, उसने भी हंसके कहा, और है कौन तेरे साथ |❤️
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मुझे रिश्तों की लम्बी कतारों से मतलब नही। कोई दिल से हो मेरा तो एक शख्स ही काफी है!!❤️
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कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत, रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं, अपना ख्याल रखना..✨
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तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता , पता नहीं तेरी खूबी है या तेरी कमी
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कोई मानो या ना मानो पर ज़िन्दगी में दो ही लोग अपने होते है, एक खुद और दूसरा ख़ुदा।
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पिंजड़े में बंद करने से शेर गीदड़ नहीं बन जाता। जब शेर बहार आता है तो शिकारी खुद शिकार बन जाता है।??
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जब तक पैसा है वो पूछेगी,? मेरा बाबू कैसा है?
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सब खफा है मेरे लहजे से पर मेरे हालात से वाकिफ कोई नहीं |
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मोहब्बत तो सिर्फ मुझे हुई थी, उसे तो तरस आया था मुझ पर।
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