मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया, फिर भी हर लम्हा लगता है कि, मैंने उसे खो दिया…..
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साजिशों का पहरा होता है हर वक़्त रिश्ते भी बेचारे क्या करें, टूट जाते हैं बिखर कर...
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जो कहते थे मुझे डर है कहीं मैं खो न दूँ तुम्हे, सामना होने पर मैंने उन्हें चुपचाप गुजरते देखा है... !!
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“जो रहते हैं दिल में, वो जुदा नही होते, कुछ अहसास लफ़्ज़ों में बयान नही होते
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खुद से बातें करने लगी हूँ, वैसे भी आजकल लोग सुनते कहाँ हैं ,
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कभी सोचा न था की वो भी मुझे तनहा कर जायेगा!जो अक्सर परेशान देखकर कहता था.... मैं हूँ न
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आज परछाई🗣️👥से पूछ ही लिया, क्यों चलती हो मेरे साथ🚶…उसने भी हँस के😁कहा, दूसरा कौन है तेरे साथ…!!
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वो वक़्त कुछ और था, वो इश्क़ का दौर था, ये वक़्त कुछ और है, ये ख्वाहिशों का दौर है.!
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सब ख़फ़ा है मेरे लहजे से...पर मेरे हाल से कोई रूबरू तक न हुआ.....
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कितनी जल्दी फैसला कर लिया जाने का, एक मौका भी नहीं दिया मनाने का
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कमाल करता है ऐ दिल तू भी उसे फुर्सत नहीं और तुझे चैन नहीं
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कितना खुश था कभी मैं खुद की ही दुनियाँ में..... ये गैरों की मोहब्बत ने मुझे तबाह कर दिया।
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लोग कहते है के जब कोई अपना दूर चला जाए तो तकलीफ होती है, परन्तु असली तकलीफ तोह तब होती है जब कोई अपना , पास होकर भी दूरियां बना ले !
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किसी को क्या बताएं कितने मजबूर हैं हम , चाहा है एक तुम्हें और तुम्ही से दूर है हम
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मोहब्बत नहीं है उसे मुझसे ये जानता हूँ मैं फिर भी ये बात कहाँ मानता हूँ मैं
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किस्मत और दिल की आपस में कभी नहीं बनती, जो लोग दिल में होते है, वो किस्मत में नहीं होते।😊😊
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कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं.. मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं
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तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है .....
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मोहब्बत तोह आज भी करते है, लेकिन तू बे -खबर है, कल की तरह.
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अजीब तरह से गुजर गयी मेरी जिंदगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।
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ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..! मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता . आवारा ना बनता तो क्या करता
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जिसकी सजा तुम हो, मुझे ऐसा कोई गुनाह करना है.
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जितना मुश्किल किसी को पाना होता है.... उससे ज़्यादा मुश्किल उसे भुलाना होता है....
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कभी सोचा नहीं था, वो भी मुझे तनहा 🥺 कर जाएगी, जो परेशान देख कर अक्सर कहती थी, मैं हूँ ना... ❤️
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जरुरी नहीं है कि काम से ही इंसान थक जाए कुछ ख्यालो का बोझ भी, इंसान को थका देता है.
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फिर आ जाओ ज़िन्दगी में मैं फिर से जीना चाहती हूँ
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शिकायत जिन्दगी से नहीं , उनसे है जो जिन्दगी में नहीं है
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दास्तां सुनाऊं और मज़ाक़ बन जाऊँ बेहतर है मुस्कुराऊं और ख़ामोश रह जाऊँ
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सब कुछ ठीक ही चल रहा है ना जाने क्यों उदास हु मैं
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रोज रोते रोज़ ये कहती है जिंदगी मुझसे, सिर्फ एक शख्स की खातिर यूँ मुझे बर्बाद ना कर।
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