तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है .....
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उनकी जब मर्जी होती है तब हमसे बात करते हैं, और हम पागल पूरा दिन उनकी मर्जी का इंतज़ार करते हैं|
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कितना भी मुश्किल क्यूँ न हो सफ़र जिंदगी का, मोहब्बत का साथ मिले तो आसानी से कट जाता है !
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बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी..पहले पागल किया.. फिर पागल कहा.. और फिर पागल समझ कर छोड़ दिया
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वक़्त गूंगा नहीं, बस मौन हैं, वक़्त आने पर बता देता हैं की किसका कौन हैं...
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अजीब तरह से गुजर गयी मेरी जिंदगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।
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सच कहा था किसी ने कि तन्हाई में जीना सीख लो मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है |
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ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के भीड़ में, वफ़ादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है..??
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जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते हैं
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मुद्दतें हो गईं हैं चुप रहते , कोई सुनता तो हम भी कुछ कहते
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जो फ़ुरसत मिली तो मुड़कर देख लेता मुझे एक दफा तेरे प्यार में पागल होने की चाहत मुझे आज भी हे !
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वक़्त पर ना जा वक़्त तो हर ज़ख्म की दावा है, आज तुमने हमे भुला दिया कल तुम्हे भी कोई भुला देगा
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मैं क्यों पुकारू उसे कि लोट आओ उसे खबर नहीं कि कुछ नहीं मेरे पास उसके सिवाए.
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गजब का हमदर्द था मेरा, जो दर्द के सिवा कुछ दे ना सका
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अच्छी लगती है ये खामोशियाँ भी अब हर किसी को जवाब देने का सिलसिला ख़त्म हो गया।
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बहुत भीड हो गई है लोगों के दिलों में...इसलिए आजकल हम अकेले ही रहते हैं...!
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क्यों लगता है वो आसपास है जिसका दूर तक कोई सुराग नहीं।
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हँसते हुए चेहरों को ग़मो से आजाद ना समझो, मुस्कुराहट की पनाहों मे हजारों दर्द होते है..!!
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मुझ से पहले भी उसका कोई था मेरे बाद भी उसका कोई है
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होने दो जरा उन को भी तनहा.... याद हम भी उन्हें बेहिसाब आएंगे..
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जिन्दगी न जाने किस मुकाम तक पहुँच गई है, तन्हाई में रोना पड़ता है और महफ़िल में हँसना पड़ता है||
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बहुत शौक से उतरे थे इश्क के समुन्दर में.. पहली ही लहर ने ऐसा डुबोया कि आज तक किनारा ना मिला
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कैसे कह देते हैं लोग रात गई बात गई, यहां जमाने गुज़र जाते हैं दिल पर लगी बात को भुलाने में |
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कुछ भी झूठ हो सकता है, मगर अकेले में बहाए आँसू नहीं.
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कभी कभी नाराजगी, दूसरों से ज्यादा खुद से होती है।?
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कितनी महँगी पड़ी मुझे मुस्कुराने की अदा, सब अकेला छोड़ गए मुझे ये कहकर क़ि तुम तो अकेले भी खुश रह लेते हो
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ये जो ज़िन्दगी है ना . तेरे बिन अधूरी है
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ठोकर खाया हुआ दिल है साहब भीड़ से ज्यादा तन्हाई अच्छी लगती है.
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कभी ये मत सोचना की याद नहीं करते , हम रात की आखिरी और सुबह की पहली सोच हो तुम
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आज परछाई?️?से पूछ ही लिया, क्यों चलती हो मेरे साथ?…उसने भी हँस के?कहा, दूसरा कौन है तेरे साथ…!!
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