अब तो मोहब्बत ?भी सरकारी नौकरी ? जैसी लगती है, कम्बख्त ग़रीबों ? को तो मिलती ही नहीं
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जरुरी नहीं है कि काम से ही इंसान थक जाए कुछ ख्यालो का बोझ भी, इंसान को थका देता है.
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जबरदस्ती की नजदीकियों से सुकून की दूरियां ही अच्छी हैं.!
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कितना होशियार है ? मेरा यार.. तोहफे में घड़ी तो दे दी लेकिन वक़्त नहीं|
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इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना , सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं
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सब कुछ ठीक ही चल रहा है ना जाने क्यों उदास हु मैं
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कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं जब दिल भर जाता है तो लोग अक्सर रूठ जाया करते हैं ?
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मुलाकात बनकर मिला था मुझ से कोई बड़ी जल्दी गुजर गया वक़्त की तरह.
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अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।”
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वो वक़्त कुछ और था, वो इश्क़ का दौर था, ये वक़्त कुछ और है, ये ख्वाहिशों का दौर है.!
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तू उदास मत हुआ कर इन हज़ारो के बीच आखिर चांद भी तो तन्हा है सितारों के बीच |
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अब मुझे रास आ गई है तन्हाइयाँ... आप अपने वक़्त का अचार डाल लिजिये
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वो मन बना चुके थे दूर जाने का, हमे लगा हमे मनाना नहीं आता
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मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है , मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की..........❤️
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मुझे "परखने " में पूरी ज़िन्दगी लगा दी उसने काश कुछ वक़्त "समझने" में लगाया होता
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हँसते हुए चेहरों को ग़मो से आजाद ना समझो, मुस्कुराहट की पनाहों मे हजारों दर्द होते है..!!
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पता नहीं सुधर गया के बिगड़ गया, ये दिल अब किसी से बहस नहीं करता..!
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नींद आएगी तोह इस तरह सोयेंगे मुझे जगाने के लिया लोग रोयेंगे
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अंदर तक तोड़ देते हैं, वो आंसू जो रात के अंधेरे में चुपचाप निकलते हैं.
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कुछ खामोश कुछ गुमशुदा से हैं, हम आज तेरे बिन खुद से जुदा जुदा से हैं हम ??
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ज़िन्दगी का सबसे लम्बा सफर एक मन से दूसरे मन तक पहुँचना है...और इसी में सबसे ज्यादा समय लगता है...
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कल तक थी जो जान, आज बन गयी अनजान.
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कितने अनमोल होते है, ये यादों के रिश्ते भी , कोई याद ना भी करे, तो चाहत फिर भी रहती है
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कुछ रुकी रुकी सी है ज़िन्दगी,कुछ चलते फिरते से है हम।
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वो बोलते रहे, हम सुनते रहे - जबाब आँखों में था , वो लफ्जों मे ढूढते रहे
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रोज रोते रोज़ ये कहती है जिंदगी मुझसे, सिर्फ एक शख्स की खातिर यूँ मुझे बर्बाद ना कर।
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कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं.. मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं
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यहाँ तो खुद से ही मिले जमाना हो गया ... और लोग कहते है कि हमें भूल गये हो तुम ...
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कैसी है मुहब्बत तेरी महफिल में मिले तो अनजान कह दिया !! सन्हा जो मिले तो जान कह दिया..
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कोन कहता है कि आसुयो मे वजन नहीं होता , एक भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता है ...
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