ख्वाहिश थी उस रिश्ते को बचाने की… और बस इक यही वजह थी मेरे हार जाने की…
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खुशीयां तो कब से रूठ गई हैं मुझसे, काश इन गमों को भी कीसी की नजर लग जाये ।
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खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मो से खेलते हैं , रूह से मोहब्बत करने वालो को अक्सर तड़पते देखा है
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शिकायत तो खुद से है तुम से तो आज भी इश्क़ है
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बहुत कुछ पाने वाले बहुत कुछ खोया करते हैं , इस दुनिया में हस्सने वाले सबसे ज़्यादा रोया करते हैं
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किस्मत और दिल की आपस में कभी नहीं बनती, जो लोग दिल में होते है, वो किस्मत में नहीं होते।😊😊
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क्यों लगता है वो आसपास है जिसका दूर तक कोई सुराग नहीं।
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मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही,अब रातों को जागना अच्छा लगता है…
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जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम...
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बनावटी रिश्तो से ज्यादा, सुकून देता है अकेलापन |
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किसी से कभी कोई उम्मीद मत रखो क्योंकि उम्मीद हमेशा दर्द देती है!
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थोडा इंतजार कर ए दिल, उसे भी पता चल जाएगा की उसने खोया क्या है !
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मेरी मोहब्बत की कातिल मेरी ग़रीबी ठहरी उसे ले गए ऊँचे मकाँ वाले....!
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वक़्त पर ना जा वक़्त तो हर ज़ख्म की दावा है, आज तुमने हमे भुला दिया कल तुम्हे भी कोई भुला देगा
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न जख्म भरे...,न शराब सहारा हुई..न वो वापस लौटी... न मोहब्बत दोबारा हुई.....!!
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समझ में ही नही आता कभी-कभी, ये सब क्या हो रहा जिंदगी में...बस.. चुप-चाप तमाशे देख रही हु जिंदगी के...
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वादों की तरह इश्क भी आधा रहा, मुलाकातें कम रही इंतजार ज्यादा रहा.
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मैने तो बस तुमसे बेइंतहा मोहबत कि है , ना तुम्हे पाने के बारे मे सोचा है ना खोने के बारे मे
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प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए
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"अकेले कैसे रहा जाता है , कुछ लोग यही सिखाने हमारी जिंदगी मे आते है
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क्यूँ उदास बेठे हो इस तरहा अंधेरे मैं, दुःख कम नहीं होते रौशनी बुझाने से
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मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ, सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है !!
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कमाल करता है तू भी ए दिल उसे फुर्सत नहीं है और तुझे चैन नहीं
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जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते है
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मोहब्बत होने में कुछ लम्हे लगते है पूरी उम्र लग जाती है उसे भुलाने में.
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जाने कैसे हो जाते हैं लोग कभी इसके कभी उसके और फिर किसी और के
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जिसकी सजा तुम हो, मुझे ऐसा कोई गुनाह करना है.
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ज़ारो चेहरों में एक तुम दिल को अच्छे लगे, वरना ना चाहत की कमी थी ना चाहने वालो की.
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क्या गिला करें उन बातों से क्या शिक़वा करें उन रातों से कहें भला किसकी खता इसे हम कोई खेल गया फिर से जज़बातों से
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ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के भीड़ में, वफ़ादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है..💯💯
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