खो कर फिर तुम हमें पा ना सकोगे साहब हम वहाँ मिलेंगे जहाँ तुम आ ना सकोगे
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परेशान करते थे मेरे सवाल तुमको.. तो बताओ पसंद आयी खामोशी मेरी....
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जाने कैसे हो जाते हैं लोग कभी इसके कभी उसके और फिर किसी और के
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मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही,अब रातों को जागना अच्छा लगता है…
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यकीनन हो रही होंगी बैचेनियां तुम्हें भी , ये और बात है कि तुम नजरअंदाज कर रहे हो...
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सवरने का तो सवाल ही नहीं उठता, हम तो बिखरे ही लाजवाब है,,!! ❤
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हर रोज तेरी यादों का हिसाब कर लेता हूं, मैं थोड़ा हंस लेता हूं; थोड़ा रो लेता हूं मैं ||
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बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी..पहले पागल किया.. फिर पागल कहा.. और फिर पागल समझ कर छोड़ दिया
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थोड़ी जगह दे दे मुझे तेरे पास कहीं रह जाऊं मैं खामोशियाँ तेरी सुनु ओर दूर कहीं ना जाऊं मैं
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कैसे कह देते हैं लोग रात गई बात गई, यहां जमाने गुज़र जाते हैं दिल पर लगी बात को भुलाने में |
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अब इन आँखों से भी जलन होती हैं मुझे ! खुली हो तो याद तेरी, और बंद हो तो ख्वाब तेरे !
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काम तो कुछ करती नहीं थक जाती हूँ बस तुम्हेे सोचते सोचते...।।
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ऐ दिल तू क्यों रोता है , ये दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है.
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ये जो ज़िन्दगी है ना . तेरे बिन अधूरी है
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मोहबत के सफ़र में नींद ऐसी खो गई, हम न सोए रात थक कर सो गई..!
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Apno ko jab apne kho dete hain tanhaiyon me aksar wo ro dete hain, kyu palkon par rakhte hain log unko,jo in palkon ko hamsha aansuon se bhigo dete hain.
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अगर ख़ुशी मिलती है तुम्हे हम से जुदा होकर तोह दुआ है खुदा से की तुम्हे कभी हम न मिले
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रास्ते उसने बदले थे...मंज़िल मेरी बदल गई।
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सबको दिलासा देने वाला शख्स..अपने दुखों में हमेशा अकेला होता है!🥺
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एक ख़्वाब था की वह भी मुझे चाहे मेरी तरह पर ख़्वाब ही रह गया
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अब तो मोहब्बत 💕भी सरकारी नौकरी 🎓 जैसी लगती है, कम्बख्त ग़रीबों 👳 को तो मिलती ही नहीं
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कोई तो कर रहा है मेरी कमी पूरी तभी मेरी याद उसे अब नहीं आती ..
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मुझे छोड़ने की वजह तो बता देते मुझसे नाराज़ थे या मुझ जैसे हज़ार थे
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आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं.. आंख बरसे तो क्या किया जाए..??
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जो कहते थे मुझे डर है कहीं मैं खो न दूँ तुम्हे, सामना होने पर मैंने उन्हें चुपचाप गुजरते देखा है... !!
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मेरी मोहबत की मजार तो आज भी वहीं है, बस तेरे ही सजदे की जगह बदल गई..!!
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कमाल करता है तू भी ए दिल उसे फुर्सत नहीं है और तुझे चैन नहीं
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जब मोहब्बत बे-पनाह हो जाये ना.. तोह फिर पनाह कही नही मिलती
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अब तो वक्त ही उसे बतायेगा, की कितने कीमती थे हम !!
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ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..! मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता . आवारा ना बनता तो क्या करता
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