हम तो खुशियाँ उधार देने का कारोबार करते हैं साहब, कोई वक़्त पर लौटता नहीं हैं इसलिए घाटे मे है .
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काश तू लौट आये और कहे बस बहुत हो गया अब नहीं रहा जाता तेरे बिना
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हमें भी शौक था दरिया -ऐ इश्क में तैरने का, एक शख्स ने ऐसा डुबाया कि अभी तक किनारा न मिला.
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किताबों की तरह हैं हम भी….अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश….!!
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कोई ठुकरा दे तो हसकर जी लेना, क्यूकि मोहब्बत की दुनिया में जबरदस्ती नहीं होती !
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जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते हैं
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कभी मिले फुर्सत तो इतना जरुर बताना वो कौनसी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे ना दे सके
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तन्हा रातें कुछ इस तरह से डराने लगी मुझे, मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया..!!🥺🥺
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मुझ से पहले भी उसका कोई था मेरे बाद भी उसका कोई है
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नसीब का सब खेल है वरना मोहब्बत तो हम भी दीवाने की तरह किये थे.
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वक़्त गूंगा नहीं, बस मौन हैं, वक़्त आने पर बता देता हैं की किसका कौन हैं...
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तू उदास मत हुआ कर इन हज़ारो के बीच आखिर चांद भी तो तन्हा है सितारों के बीच
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भीड़ तन्हाइयों का मेला है, यहाँ हर आदमी अकेला है |💯💯
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आज परछाई से पूछ ही लिया , क्यों चलते हो.. मेरे साथ..उसने भी हंसके कहा ,और कौन है...तेरे साथ !!
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उसने कहा तुम सबसे अलग हो, सच कहा और कर दिया मुझे सबसे अलग |
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नफ़रत की एक बात अच्छी लगी मुझे, ये मोहब्बत की तरह झूठी नहीं है साहब !!💯❤️
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मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत इतनी , जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या करेंगे. ..!
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कुछ नहीं लिखने को आज.... न बात , न ज़ज्बात
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कुछ नही मिलता बस एक सबक़ मिल जाता हैं, ख़ाक हो जाता हैं इंसान, ख़ाक से बने इंसान के पीछे।।
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बहुत उदास हे कोई तेरे जाने से हो सके तो लौट आ किसी बहाने से, तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख ,कोइ टूट गया है तेरे रूठ जाने से।
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जबरदस्ती की नजदीकियों से सुकून की दूरियां ही अच्छी हैं.!
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बस एक बार , उलझना है तुमसे, बहुत कुछ , सुलझाने के लिये
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एक ख्याल ही तो हूँ मैं ..याद रह जाऊँ .. तो याद रखना ..वरना...सौ बहाने मिलेंगे ...भूल जाना मुझे....
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यकीनन हो रही होंगी बैचेनियां तुम्हें भी , ये और बात है कि तुम नजरअंदाज कर रहे हो...
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बदल दिया है मुझे मेरे चाहने वालो ने ही… वरना मुझ जैसे शख्स में इतनी खामोशी कहाँ थी...
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कोन कहता है कि आसुयो मे वजन नहीं होता , एक भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता है ...
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पता नहीं सुधर गया के बिगड़ गया, ये दिल अब किसी से बहस नहीं करता..!
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चले जाने दो उस बेवफ़ा को किसी और की बाहों में जो इतनी चाहत के बाद मेरा ना हुआ वो किसी और का क्या होगा
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उसको मालूम तो हैं मेरे हालातो के बारे मे, फिर खैरियत पूछकर मेरी मुश्किलें क्यों बढ़ाते हैं |
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नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !
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