अजब पहेलियाँ हैं हाथों की लकीरों में सफ़र ही सफ़र लिखा हैं हमसफ़र कोई नहीं |
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16
कुछ लोगो को कितना भी अपने बनाने की कोशिश कर लो वो साबित कर देते है कि वो गैर ही है |
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19
यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है
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14
एक घुटन सी होती है जीने में जब कोई दिल में तो रहता है पर साथ नहीं
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105
मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत इतनी, जो लोग बात नहीं करते, वो प्यार क्या करेंगे।??
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84
तेरे बिना जीना बोहोत मुश्किल है ... और तुझे ये बताना और भी मुश्किल .
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127
क्यूँ उदास बेठे हो इस तरहा अंधेरे मैं, दुःख कम नहीं होते रौशनी बुझाने से
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25
जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते है
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13
हजारो चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको.. पर. दिल भी जिद पे अड़ा था कि अगर बो नहीं , तो उसके जैसा भी नहीं।
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163
यकीनन मुझे तलाशती हैं तेरी आँखें....ये बात अलग है,, तुम ज़ाहिर नही होने देते...
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52
छोड़ कर जाने वाले क्या जानें , यादों का बोझ कितना भारी होता है ...
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13
जो ज़ख़्म लगे हुए हैं दिल पर उनका मर्ज़ क्या होता है महफ़िल वालों तुम क्या जानो तन्हाई का दर्द क्या होता है....
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बस इतना सा असर होगा हमारी यादों का, कि कभी-कभी तुम बिना बात के मुस्कुराओगे.
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59
ज़रा सी वक़्त ने करवट क्या ली ! गैरों की लाइन में सबसे आगे अपनों को पाया हमने ?
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72
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे, मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।
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42
जुनून सवार था किसीके अंदर ज़िंदा रहने का....हुआ यूं के हम अपने अंदर ही मर गये...
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137
मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया, फिर भी हर लम्हा लगता है कि मैंने उसे खो दिया…..!
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16
कितने अनमोल होते है, ये यादों के रिश्ते भी , कोई याद ना भी करे, तो चाहत फिर भी रहती है
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29
भीड़ तन्हाइयों का मेला है, यहाँ हर आदमी अकेला है |??
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73
हर रोज तेरी यादों का हिसाब कर लेता हूं, मैं थोड़ा हंस लेता हूं; थोड़ा रो लेता हूं मैं ||
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24
तुम्हारे बिना रह तो सकती हूँ... मगर.. खुश नहीं रह सकती
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60
अच्छे इंसान मतलबी नहीं होते, बस दूर हो जाते हैं, उन लोगों से जिन्हें उनकी कद्र नहीं होती....
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अब मुझे रास आ गई है तन्हाइयाँ... आप अपने वक़्त का अचार डाल लिजिये
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17
हालातों ने खो दी इस चेहरे की मुस्कान, वरना जहाँ बैठते थे रौनक ला दिया करते थे।
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40
अकेली रात ? बोलती बहुत है, लेकिन सुन वही सकता है जो खुद भी अकेला ? हो |
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तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है .....
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121
ठोकर खाया हुआ दिल है...भीड से ज्यादा तन्हाई अच्छी लगती है....
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38
वक़्त पर ना जा वक़्त तो हर ज़ख्म की दावा है, आज तुमने हमे भुला दिया कल तुम्हे भी कोई भुला देगा
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16
छोड़ दिया अब हमनें उस बेवफा का इंतजार करना दोस्तों जब रात गुजर सकती है तो ज़िंदगी भी गुजर जाएगी
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101
जब दिल गैरो मैं लग जाए तब अपनों मैं खामिया नजर आने लगती है
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