मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
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अब तो वक्त ही उसे बतायेगा, की कितने कीमती थे हम !!
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जब दिल गैरो मैं लग जाए तब अपनों मैं खामिया नजर आने लगती है
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मैं उनका हूँ ये राज सब जानते हैं वो किसके हैं ये सवाल मुझे सोने नहीं देता |
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साथ साथ धूमते है, हम दोनो रात भर..! लोग मुझे आवारा, और उसे चाँद कहते है..!
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बड़ी कश्मोकश है इन दिनो ज़िन्दगी में...किसी को ढूंढते फिर रहे हैं हर किसी में....
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जिसे दिल मे जगह दी थी वो ही सब बर्बाद कर गया....!!
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काश तू लौट आये और कहे बस बहुत हो गया अब नहीं रहा जाता तेरे बिना
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खो कर फिर तुम हमें पा ना सकोगे साहब हम वहाँ मिलेंगे जहाँ तुम आ ना सकोगे
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बहुत शौक से उतरे थे इश्क के समुन्दर में.. पहली ही लहर ने ऐसा डुबोया कि आज तक किनारा ना मिला
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माना कि तुझसे दूरियां, कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं, पर तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है |
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खुशीयां तो कब से रूठ गई हैं मुझसे, काश इन गमों को भी कीसी की नजर लग जाये ।
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लफ्ज ढाई अक्षर ही थे.....कभी प्यार बन गए तो कभी जख्म.......
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इश्क़ कभी झूठा नहीं होता, झूठे तो बस कसमे और वादे होते है !!
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बिन धागे की सुई सी बन गई है ये ज़िंदगी ...सिलती कुछ नहीं ... बस चुभती चली जा रही है ...
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दर्द सिर का हो या दिल का, दोनों बहुत बुरे होते है.
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किस्सा बना दिया उन लोगों 🤵 ने भी मुझे जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताया करते थे | 🥺
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ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के भीड़ में, वफ़ादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है..💯💯
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कुछ लोगो को कितना भी अपने बनाने की कोशिश कर लो वो साबित कर देते है कि वो गैर ही है |
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जिन्हें पता होता हैं। की अकेलापन क्या होता हैं । ऐसे लोग दुसरो के लिए । हमेशा हाज़िर रहते हैं ।
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कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं.. मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं
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अजब पहेलियाँ हैं हाथों की लकीरों में सफ़र ही सफ़र लिखा हैं हमसफ़र कोई नहीं |
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जुनून सवार था किसीके अंदर ज़िंदा रहने का....हुआ यूं के हम अपने अंदर ही मर गये...
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कभी कभी नाराजगी, दूसरों से ज्यादा खुद से होती है।😊
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कोई पूछेगा तो सुबह का भूला कह देंगे, तुम आओ तो सही,हम शाम को सवेरा कह देंगे
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समझ में ही नही आता कभी-कभी, ये सब क्या हो रहा जिंदगी में...बस.. चुप-चाप तमाशे देख रही हु जिंदगी के...
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ज़िन्दगी में मंज़िले तो मिल ही जाती हैं ! लेकिन वो लोग नहीं मिलते जिन्हें दिल से चाहा हो ! 💯💯
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क्यूँ उदास बेठे हो इस तरहा अंधेरे मैं, दुःख कम नहीं होते रौशनी बुझाने से
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कितने शौक से छोड़ दिया तुमने बात करना जैसे सदियों से तेरे ऊपर कोई बोझ थे हम
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कुछ नही मिलता बस एक सबक़ मिल जाता हैं, ख़ाक हो जाता हैं इंसान, ख़ाक से बने इंसान के पीछे।।
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