“डर से मत डरो, डर को डराओ, जो भूल गया है उसे उसकी औकात याद दिलाओ।”🖕
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46
जिस चीज़ का तुम्हे खौफ है, उस चीज़ का हमे शौंक है।
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लोग कहते है समझो तो खामोशियाँ भी बोलती है, मै अरसो से खामोश हूँ, वो बरसों से बेखबर है 💔
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लोग तो दुनियाँ वालो से यारी करते है मेरी तो दुनियाँ बनाने वालो से यारी है
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अजीब सी आदत है अपनी, नफरत हो या मोहब्बत बड़ी शिद्दत से करते हैं ।🔥🔥
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जिसे पा नहीं सकते, यह जरूरी नहीं कि उसे प्यार करना भी छोड़ दिया जाए...
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नफरत के बाज़ार में जीने का अलग ही मज़ा है, लोग रुलाना😢 नहीं छोड़ते हम हसना😆 नहीं छोड़ते….!!
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जो वक्त नहीं दे सकते वो साथ क्या देंगे |
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तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख, मैं तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना.......!
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आंसू जानते है कौन अपना है इसलिए बस अपनों के सामने निकल आते हैं.
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माना कि वक्त सता रहा है, मगर कैसे जीना है, ये भी बता रहा है! ⌛💯
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हौसले का सबूत देना था, इसलिए ठोकर खाकर भी मुस्कुरा पडे.!😊
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"तू मोहब्बत है मेरी इसलिए तो दूर है, अगर ज़िद्द होती तो शाम तक बाहों में होती !!"
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जिस दिन उसपर दिल आया था, उस दिन मौत आ जाती तो अच्छा रहता |
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हर मंज़िल हासिल होंगी, बस तुम इरादा नेक रखना.
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हम दोनों को कोई भी बीमारी नही है... फिर भी तु मेरी और मैं तेरी दवा हूँ
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तुझे मेने धड़कनो में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब मज़ा आ रहा है धक् धक् करने में
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सब ख़फ़ा है मेरे लहजे से...पर मेरे हाल से कोई रूबरू तक न हुआ.....
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अंदर तक तोड़ देते हैं, वो आंसू जो रात के अंधेरे में चुपचाप निकलते हैं.
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किसी के पैरो मे गिरकर कामयाबी पाने से बेहतर है अपने पैरो पर चलकर कुछ बनने की ठान लो |
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उनकी नफरत बता रही है, हमारी मोहब्बत गज़ब की थी 😊
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मुद्दत के बाद जिन्दगी फिर से मुस्कुराने लगी है , किसी की धडकन हमें अपना बनाने लगी है...!!
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तूने कैसे थामा होगा हाथ उसका, तेरी हथेली को भी आदत मेरी थी। 🥺🥺
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अफ़सोस सिर्फ इस बात का है , उसको मेरी कमी का कोई गम नहीं |
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दे दो बस एक ही वरदान, आपके भगत से न हो पाये कभी कोई बुरा काम हर हर महादेव |
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क्या नाम दूँ मैं अपनी मोहब्बत को, कि ये तेरा सिवा किसी और से होती ही नहीं..!!😍
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यकीनन हो रही होंगी बैचेनियां तुम्हें भी , ये और बात है कि तुम नजरअंदाज कर रहे हो...
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कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत, रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं, अपना ख्याल रखना..✨
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अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।”
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लफ्ज ढाई अक्षर ही थे.....कभी प्यार बन गए तो कभी जख्म.......
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