शौक पूरे करो जिंदगी तो, एक दिन खुद पूरी हो जाएगी..!!?
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झुण्ड की जरूरत तो कमजोरो को पड़ती हैं , तबाही मचाने के लिए तो मुझ जैसा एक शेर ही काफी हैं .? ?
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मैं उनका हूँ ये राज सब जानते हैं वो किसके हैं ये सवाल मुझे सोने नहीं देता |
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अगर कोई भूखा गरीब रास्ते के किनारे मिल जाये, तो अपनी टीफिन का खाना खिलाना भी मोहब्बत है..!!
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अब अगर रूठे तो रूठे रहना मैं मनाने वाला हुनर भूल चुकी हूं
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फितरत हैं महोबत करने वालो की नहीं मिले तो सब्र नहीं करते, मिल जाए तो कदर नहीं करते |
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पलटकर देख लेते तुम ? तो फिर इकरार हो जाता, उलझनें सारी मिट जाती, और फिर से प्यार हो जाता |❤️
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एक एहसान कर दे मुझपे, एक पत्थर दिल मुझे भी ला दे |
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अब अगर तुम जाने ही लगे हो तो पलट कर मत देखना, *क्योकि मौत की सजा लिखने के बाद कलम तोड़ दी जाती है*
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जब तक खुद पर ना गुजरे, एहसास और जज़्बात मजाक लगते है...!
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धन भी रखते है गन ? भी रखते है, और_सुन बेटा, थोड़ा हटके रईयो वरना, ठोकने का ज़िगर ? भी रखते है।
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जवाब देना तो हमें भी आता है,, लेकिन आप इस काबिल नहीं… ??
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कर देते है Message हार कर सामने से, मन ही नहीं लगता, नाराज़गी का क्या करेंगे। ??
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कर्म तेरे अच्छे है तो किस्मत तेरी दासी है || नियत तेरी अच्छी है तो घर मथुरा काशी है ||
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बिन धागे की सुई सी बन गई है ये ज़िंदगी, सिलती कुछ नहीं, बस चुभती चली जा रही है…?
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किस्मत सिर्फ मेहनत करने से बदलती है बैठ कर सोचते रहने से नहीं
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ग़ालिब ने खूब कहा है - ऐ चाँद तू किस मज़हब का है , ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
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उसे भुला दूंगा और चैन से सोऊंगा .. ये सोचते सोचते पूरी रात निकल जाती है !
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आज परछाई से पूछ ही लिया , क्यों चलते हो.. मेरे साथ..उसने भी हंसके कहा ,और कौन है...तेरे साथ !!
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रोज़ नहीं पर कभी कभी तो वो शख्स मुझे जरूर सोचता होगा
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दुश्मनों की अब किसे जरूरत है, अपने ही काफी है, दर्द देने के लिए।❤️
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मुझे समझना इतना आसान नहीं.. गहरा समुंदर हूं खुला आसमान नहीं...?
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ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..! मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता . आवारा ना बनता तो क्या करता
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तू मिले या न मिले ये तो मुक़द्दर की बात है मगर सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोच कर
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क्यूँ नहीं महसूस होती उसे मेरी तकलीफ जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते हैं तुझे.?
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तू चालाकी से कोई चाल तो चल, जीतने का हुनर मुझ में आज भी हैं !
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परख ना सकोगे ऐसी शख्सियत है मेरी, मैं उन्हीं के लिए हूं जो जाने कदर मेरी..?
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बहुत नाराज़ थे तो रो ? पड़े, अपनों से क्या ही शिकायत करते। ?
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तुने अच्छा ही किया मुझे गलत समझ कर, में भी थक गया हूँ खुद को साबित कर-कर के.
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दूरियां तो पहले ही आ चुकी थीं, इस ज़माने में, एक बीमारी ने आकर इल्ज़ाम अपने सर ले लिया.❤️
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