आँखों में देखी जाती हैं.. प्यार की गहराईयाँ...शब्दों में तो छुप जाती हैं.. बहुत सी तन्हाईयाँ....
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कर्जदार हूं उस हकीम का, जिसनें दवा में तेरा दीदार लिखा |
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दुनिया में रहने की सबसे अच्छी दो जगह किसी के दिल में या किसी की दुआओं में ?
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अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों, न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’..!!❤️
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मुझको छोड़ने की वजह तो बता देते, मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हज़ार थे !! ?
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ये जो तुम कहते रहते हो न की खुश रहा करो तो फिर सुन लो हमेशा मेरे पास रहा करो
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आँखों से दूर दिल के करीब था मैं उसका और वो मेरा नसीब था न कभी मिला न कभी जुदा हुआ रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था, ❤
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कभी ये मत सोचना की याद नहीं करते , हम रात की आखिरी और सुबह की पहली सोच हो तुम
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कल तक थी जो जान, आज बन गयी अनजान.
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इजाजत हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ जाऊँ, देखों ना चाँद के पास भी तो एक सितारा है…
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ज़रूरी नहीं हर गिफ्ट कोई चीज़ ही हो, प्यार, केयर, रेस्पेक्ट भी अच्छा गिफ्ट ही है |
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मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
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बात कोई नहीं मानता, बात का बुरा सब मान जाते है...?
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फ़ासले तो बढ़ा रहे हो मगर इतना याद रखना, मुहब्बत?बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती?…!!
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लिख दू तो लफ्ज़ तुम हो, सोच लू तो ख्याल तुम हो, मांग लू तो मन्नत तुम हो, और चाह लू तो मोहोब्बत भी तुम ही हो
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मरता था जिनके लिए वो अब मर गए है मेरे लिए.
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एक ख़्वाब था की वह भी मुझे चाहे मेरी तरह पर ख़्वाब ही रह गया
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छोड़ कर जाने वाले क्या जानें , यादों का बोझ कितना भारी होता है ...
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जिंदगी की उलझनों ? ने मेरी शरारतें कम कर दीं, और लोग समझते है कि मैं समझदार ? हो गया ।
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बहुत भीड हो गई है लोगों के दिलों में...इसलिए आजकल हम अकेले ही रहते हैं...!
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आ बैठ मेरे मालिक आज बटवारा कर ही लें, सारी दुनिया तेरी और सिर्फ तूं मेरा |
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प्यार था और रहेगा भी..लेकिन बस अब बार बार टूटने की हिम्मत खत्म हो गयी है डर में नही जी सकते के कब कौन बीच रास्ते साथ छोड़ जाए अकेले का सफर कठिन है जानती हूँ पर किसी के साथ रहकर भी तन्हा महसूस करना ज़्यादा बुरा लगता है ?
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हजारों उलझनें राहों में, और कोशिशें बेहिसाब; इसी का नाम है ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब। ?
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साथ साथ धूमते है, हम दोनो रात भर..! लोग मुझे आवारा, और उसे चाँद कहते है..!
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हम तो चाहते है कि लोग हमसे नफरत करें मोहब्बत भी तो लोग कौन सी सच्ची करते है |?
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Apno ko jab apne kho dete hain tanhaiyon me aksar wo ro dete hain, kyu palkon par rakhte hain log unko,jo in palkon ko hamsha aansuon se bhigo dete hain.
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गिरगिट की आखिरी जुबान “में आजकल रंग बदलने में लोगों का मुकाबला नहीं कर पा रही हूं
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ताक़त आवाज़ में नहीं अपने विचारों में रखो क्योंकि फ़सल बारिश से होती हैं, बाढ़ से नहीं।??
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हम रोज़ उदास होते हैं और रात गुज़र जाती है एक दिन रात उदास होगी और हम गुज़र जाएंगे
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"सुनो" ज़रा सा हक़ जाताना भी सिख लो,इश्क़ है तो बताना भी सिख लो..
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