लोग अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं मेरी आदतों से रुतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ !!"
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24
मोहब्बत के मारे लोग फिर कहा मिलते है, ये मुरझाए हुए गुलाब 🌹 है, जो सिर्फ़ किताबों 📘 में मिलते है..
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अकेली रात 🌃 बोलती बहुत है, लेकिन सुन वही सकता है जो खुद भी अकेला 😟 हो |
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99
किस किस का नाम लें, अपनी बरबादी मेँ; बहुत लोग आये थे दुआयेँ देने शादी मेँ !
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181
यदि आप सच कहते हैं, तो आपको कुछ याद रखने की जरूरत नहीं रहती
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कामयाबी के सफर में धूप बड़ी काम आयी. छांव अगर होती तो कब के सो गये होते !
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87
मोहब्बत तो सिर्फ मुझे हुई थी, उसे तो तरस आया था मुझ पर।
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11
हम वक्त और हालात के साथ ‘शौक’ बदलते हैं, दोस्त नही … !!
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जनाब तुम महोबत की बात करतें हो हमनें तो दोस्ती मैं भी धोखे खाये हैं।
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15
किताबों की तरह हैं हम भी….अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश….!!
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ना अपने पास हूं ना तेरे साथ हूं, बहुत दिनों से मैं यूं ही उदास हूं !
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19
जब बात जरूरत की हो तो जुबान सबकी मीठी हो जाती है।
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जंगल में शेर दहाड़ता नहीं..उसकी ख़ामोशी दहसत मचाती हैं 🐅
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जाते वक्त बहोत गुरूर से कहा था उसने.... "तुम जैसे हजार मिलेंगे" मैंने मुस्कुरा कर कहा.... " मुझ जैसे की ही तलाश क्यों
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ये जो रात को जागते है ना.. ये जानते है किसी को खोने का दर्द !!
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जुदा होने का शौक भी पूरा कर लेना जनाब, लगता है तुझे हम ज़िंदा अच्छे नहीं लगते!💔
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अपनी पीठ से निकलें खंजरों को जब गिना मैंने, ठिक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने।😊😊
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चंद पल साथ रहा फिर जुदा हो गया एक शख़्स न जाने कब खुदा हो गया |
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अकेली रात बोलती बहुत है लेकिन सुन वही सकता है जो खुद भी अकेला हो
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तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है .....
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किसी के गुलाम होने की आदत नही हमारी, हम तो खुद अपनी रियासत बनाते हैं।
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यूँ ना छोड़ कर जाया करो बार-बार,अगर मैं रूठ गया तो,मेरी एक झलक को भी तरसोगी |
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कैसे कह दूं कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है |
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लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं , मैं अर्सों से खामोश हूँ वो बरसों से बेखबर है
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🍂 दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता, माना कि इसका कुछ अंजाम नहीं होता, अगर निभाने की चाहत हो दोनों तरफ, तो कसम से कोई रिश्ता नाकाम नहीं होता. 🍂
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मिले तो हजारो लोग थे जिंदगी में, मगर वो सबसे अलग था जो किस्मत में नही था।
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पास आकर सभी दूर चले जाते है अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है इस दिल का दर्द दिखाए किसे मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है।
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अब मुझे रास आ गई है तन्हाइयाँ... आप अपने वक़्त का अचार डाल लिजिये
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मुस्कुरा जाता हूँ अक्सर गुस्से में भी तेरा नाम सुनकर , तेरा नाम से इतनी मोहब्बत ही तो सोच तुझसे कितनी होगी
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कैसे कह देते हैं लोग रात गई बात गई, यहां जमाने गुज़र जाते हैं दिल पर लगी बात को भुलाने में |
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