जरुरी नहीं है कि काम से ही इंसान थक जाए कुछ ख्यालो का बोझ भी, इंसान को थका देता है.
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52
देखने के लिए सारी कायनात भी कम, चाहने के लिए एक चेहरा भी बहुत है |?
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121
वक़्त पर आया करते थे जवाब उनके, ये भी एक वक़्त की बात है !
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13
किसी के गुलाम होने की आदत नही हमारी, हम तो खुद अपनी रियासत बनाते हैं।
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66
पूछा जो हमनें किसी और के होने लगे हो क्या, वो मुस्कुराकर बोले पहले तुम्हारे थे क्या.
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7
कुछ नही भुले हम बस मौके का इंतजार कर रहे है..! ??
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60
मुझे सुकून पाने के लिए दवा की नहीं बल्कि तुम्हारे साथ की ज़रूरत है..!!
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34
जिन्हें पता होता हैं। की अकेलापन क्या होता हैं । ऐसे लोग दुसरो के लिए । हमेशा हाज़िर रहते हैं ।
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35
कभी साथ बैठो चाय पर तो दुख दर्द बतायें, युं दूर से पुछोगे तो खैरियत ही कहेंगे??
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57
हम सादगी में झुक क्या गए, तुमने तो हमे गिरा हुआ समझ लिया |?
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62
खुशियाँ दिखावे की हो सकती हैं, जनाब ग़म तो छुपाने से भी नहीं छुपता है|
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14
तुम मेरा नाम जानते हो, मेरी कहानी नहीं!?
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36
अंदर तक तोड़ देते हैं, वो आंसू जो रात के अंधेरे में चुपचाप निकलते हैं.
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77
तमन्ना तेरे जिस्म की होती तो छीन लेते दुनिया से, मोहब्बत तेरी रूह से की इसलिए मांगते हैं खुदा से।❤️
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119
तुम जब कहोगे हम तब मिलेंगे, लेकिन एक शर्त पर, न घड़ी तुम पहनोगे, न वक्त हम देखेंगे।❤️❤️
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115
?ऐसा नहीं के मैं रोती नहीं..बिखरती नहीं..टूटती नहीं..पर सलामत रहे मेरे दोस्त..जो हर बार जोड कर मुझे पहले जैसा नया कर देते है !!?
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652
कर्मो से डरिये, ईश्वर से नहीं, ईश्वर माफ कर देता है | कर्म माफ नहीं करते !!
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16
? नजर चाहती है दीदार करना ? दिल चाहता है तुम्हें प्यार करना ?
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232
जिस शख्स की गलती, "गलती" ना लगे, किताब-ऐ-इश्क में उसे "महबूब कहते है ! ??
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42
“अकड़ उतनी ही दिखाना जितनी तेरी औकात हो,,!!” ?
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19
कितना भी खुश रहने की कोशिश कर लो, जब कोई याद आता है तो बहुत रुलाता है ??
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20
इश्क़ सच्चा वही …जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें …
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251
लम्बा सफ़र तय करना है तो...ठोकरों से मुलाकात लाज़मी है...!!
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215
जिनकी हँसी खुबसूरत होती है, उनके 'ज़ख्म' काफी गहरे होते है ।
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56
सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती! न करेंगे किसी से वादा! पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की करना पड़ा दोस्ती का वादा
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421
नफरत के बाज़ार में जीने का अलग ही मज़ा है, लोग रुलाना? नहीं छोड़ते हम हसना? नहीं छोड़ते….!!
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125
वादों की तरह इश्क भी आधा रहा, मुलाकातें कम रही इंतजार ज्यादा रहा.
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मुझको क्या डराओगे मौत से मैं तो पैदा ही क़ातिलों की गली में हुआ हूँ। ?
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माना कि तुझसे दूरियां, कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं, पर तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है |
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मुझे आज भी याद है तुम्हारा वो मुझसे पहली बार बात करना |
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