हर रोज़, हर वक़्त तुम्हारा ही ख्याल ना जाने किस कर्ज़ की किश्त हो तुम
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बहुत उदास ? है कोई तेरे चुप हो जाने से, हो सके तो बात कर किसी बहाने से। ❤️
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मोहब्बत में शक ? और गुस्सा ? वही लोग करते हैं, जो आपको खोने से डरते हैं।
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हमने तो अल्फ़ाजों में अपना दर्द सुनाया था उन्हें, मगर वो शायरी समझ कर, मुस्कुरा कर चले गए।
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“एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना, बस फिर क्या था तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा
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हमने तो अल्फांजों में अपना दर्द सुनाया था उन्हें, मगर वो शायरी समझ कर, मुस्कुरा कर चले गए |
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पछतावा अतीत नहीं बदल सकता, और चिंता भविष्य..!!?❤️
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रहा नहीं जाता आपके दीदार के बिना ज़िन्दगी अधूरी है मेरी आपके प्यार क बिना
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तेरी एक कॉल की उम्मीद पे, मैने अभी तक अपना फोन नंबर नही
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क्या नाम दूँ मैं अपनी मोहब्बत को, कि ये तेरा सिवा किसी और से होती ही नहीं..!!?
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नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर, कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए…तो भी दिल धड़क जाता है..??
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मैंने दबी आवाज में पूछा, मोहब्बत करने लगी हो, नजरें झुका कर वो बोली, "बहुत"
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क्या इतने दूर निकल आये हैं हम, कि तेरे ख्यालों में भी नही आते ?
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उम्मीदों से है घायल ,उम्मीद पे ज़िंदा है ….आस भरी अरदास को तू ऐसे ना ठुकरा …
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हरकते बदल दीजिए, वरना हम ? हालात बदल देंगे..!!
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जब दो लोगो के बीच में तीसरा इंसान आ जाता है तो दूरियां अपने आप बढ़ जाती है
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उसने कहा तुम सबसे अलग हो, सच कहा और कर दिया मुझे सबसे अलग |
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नहाए धोए से हरी मिले तो मै नहाऊं सौ बार हरि तो मिले निर्मल हृदय से प्यारे मन का मैल उतार |
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बिकने वाले और भी हैं जाओ जाकर खरीद लो, हम कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते हैं।
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वापस आ जा ऐ ख़ुशी, वरना जिंदगी भर सो नहीं पाएंगे जी तो सकते नहीं, पर मर भी नहीं पाएंगे .
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लोग कहते है समझो तो खामोशियाँ भी बोलती है, मै अरसो से खामोश हूँ, वो बरसों से बेखबर है ?
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जाने का कोई इरादा नहीं था, पर रुककर भी क्या करते, जब तू ही हमारा नहीं था ?
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जख्म इतने थे दिल पर कि, हकीम ने ईलाज में मौत ही लिख दी
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लोग तो दुनियाँ वालो से यारी करते है मेरी तो दुनियाँ बनाने वालो से यारी है
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जंगल में शेर दहाड़ता नहीं..उसकी ख़ामोशी दहसत मचाती हैं ?
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तुझसे नाराज होकर तुझसे ही बात करने का मन, ये दिल का सिलसिला भी कभी ना समझ पाये हम!.!❤️
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किसी को क्या बताएं कितने मजबूर हैं हम , चाहा है एक तुम्हें और तुम्ही से दूर है हम
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नसीब के आगे जुकूंगा नहीं, थककर जरूर बैठा हूं मगर रूकूंगा नहीं |?☺️
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क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दिया ” उसे ” खुश देखने के लिए
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उन्होंने पूछा तोफे ? में क्या चाहिए, हमने कहा वो मुलाकात ? जो कभी ख़त्म ना हो। ?
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