पहला प्यार और आखिरी एग्जाम को हम कभी सीरियस नहीं लेते ?
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दुश्मन तो बहुत है ? पर वो कहते है, ना शेर का शिकार कुत्तों ? से नहीं होता |
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किसीको इतना मंहगा मत बनाओ, की खुद सस्ते हो जाओ!?
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मोहबत के सफ़र में नींद ऐसी खो गई, हम न सोए रात थक कर सो गई..!
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मोहब्बत तोह आज भी करते है, लेकिन तू बे -खबर है, कल की तरह.
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एक ऐसा लक्ष्य भी होना चाहिए जो सुबह उठने पर मजबूर कर दे.
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मंजिल मेरे कदमों से अभी दूर बहुत है... मगर तसल्ली ये है कि कदम मेरे साथ हैं
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मेरे दर्द से वाकिफ नहीं अपनी खता मानता ही नहीं | क्या शिकायत करू उसे जो वफ़ा जानता ही |
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तुझे मेने धड़कनो में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब मज़ा आ रहा है धक् धक् करने में
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तेरी मोहब्बत की हिफाज़त कुछ इस तरह की हमने, जब देखा किसी ने प्यार से नज़रें झुका ली हमने.
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शराफत का जमाना ही नहीं रहा साहिब, किसी को इज्ज़त दो तो वो कमज़ोर समझ लेता है !!✔️✔️
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इश्क की उम्र नहीं होती ना ही दौर होता है इश्क़ तो इश्क़ है जब होता है बेहिसाब होता है।
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नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
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कोई तो कर रहा है मेरी कमी पूरी तभी मेरी याद उसे अब नहीं आती ..
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ऐ ईश्क सुना था के… तु अंन्धा है फिर मेरे धर का राश्ता तुजे कीसने बताया
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मेरी थी जो खामियां ,तुझसे पूरी हुई …बाक़ी हुवे बेवजह ,तू ज़रूरी हुई …
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आप होशियार है अच्छी बात है, पर हमें मूर्ख ना समझे यह उससे भी अच्छी बात है !??
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तुम्हे चाहने वाला जब तुम्हे ही वक्त देना बंद कर दे तो समझ लेना कि वो अब तुम्हारा नहीं रहा
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काश वो आये और गले लगाकर कहे पागल मुझे भी नहीं रहा जाता तेरे बिना।??
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ना पेशी होगी, न गवाह होगा, अब जो भी हमसे ? उलझेगा बस सीधा तबाह होगा | ?
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मेरे पास'कमीनों की फौज है, तभी तो जिंदगी में मौज है।
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इंसान हो तो सच्चे रहो बाकी,,, झूठे तो बर्तन भी होते है ?
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*हर किसी को सफ़ाई मत दीजिये* *आप इंसान हैं, डिटर्जेंट नहीं...*
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सच्चा प्यार वही होता है जो अपनी गलती ना होने पर भी,अपना रिश्ता बचाने के लिए sorry बोल देते है |
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दस्तक़ और आवाज़ तो कानों के लिए है.. जो रूह को सुनाई दे उसे खामोशी कहते हैं..
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तुम चाहते तो निभा भी सकते थे, मगर तुमने ऐसा कभी चाहा ही नहीं.
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अपनी मर्जी से भी दो चार कदम चलने दें ऐ-जिन्दगी, तेरे कहने पे तो बरसों चलें हैं..?
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"सुनो" ज़रा सा हक़ जाताना भी सिख लो,इश्क़ है तो बताना भी सिख लो..
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वो मन बना चुके थे दूर जाने का, हमे लगा हमे मनाना नहीं आता
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वाकिफ थे बाकायदा उन गलियों से हम फिर भी ना जाने कैसे ठोकर लग ही गयी।
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