जलो ? मत हमे देख कर, वरना राख हो जाओगे |
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दर्द जब हद से ज्यादा बढ़ जाए , तो वो ख़ामोशी का रूप ले लेता है
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कुछ चीजे पैसों ? से नही मिलती और मुझे उन्ही चीजों का शौक हैं.?
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कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत, रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं, अपना ख्याल रखना..✨
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दुनिया ? तुम्हे उस वक्त तक नहीं हरा सकती, जब तक तुम खुद से ना हार जाओ…
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दिखावे के शरीफ बनने की आदत नही है, ?हमारे शब्द चाहे जैसे भी हो खुलेआम बोलते है | ?
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क्या गिला करें उन बातों से क्या शिक़वा करें उन रातों से कहें भला किसकी खता इसे हम कोई खेल गया फिर से जज़बातों से
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सुकून की तलाश में हम दिल बेचने निकले थे, खरीददार दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया.
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जागना भी कबूल हैं तेरी यादों में रात भर, तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ ❤️❤️
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आज कल लोग दुआ में कम बुराईयों में ज्यादा याद रखते हैं ?
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कभी मिले फुर्सत तो इतना जरुर बताना वो कौनसी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे ना दे सके
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मोहब्बत तोह आज भी करते है, लेकिन तू बे -खबर है, कल की तरह.
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ज्यादातर लोग उतने ही खुश रहते हैं जितना वो अपने दिमाग में तय कर लेते हैं
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किस किस का नाम लें, अपनी बरबादी मेँ; बहुत लोग आये थे दुआयेँ देने शादी मेँ !
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प्रेम से रहो दोस्तों जरा सी बात पे रूठा नहीं करते...पत्ते वहीं सुन्दर दिखते हैं जो शाख से टूटा नही करते...!!
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मंजिल मेरे कदमों से अभी दूर बहुत है... मगर तसल्ली ये है कि कदम मेरे साथ हैं
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किसी रोज़ मिलने से प्यार हो या न हो लेकिन किसी रोज़ बात करने से उसकी आदत जरूर हो जाती है
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सब लोग बुरे नहीं होते कुछ लोगों का दिमाग खराब होता है
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गुरुर” किस बात का करू मरने के बाद मेरे "अपने" ही, मुझे छूने के बाद हाथ" धोएंगे...!??
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जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
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खामोशियां बेवजह नहीं होती कुछ दर्द आवाज़ छीन लिया करते हैं
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दुनिया के तो हजार मुंह है सबकी सुनते रहोगे, तो अकेले रह जाओगे....
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एक अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम, झाँकते ज्यादा है..!
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तू भी आईने की तरह बेवफा निकला, जो सामने आया उसी का हो गया ❤️
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जख्म इतने थे दिल पर कि, हकीम ने ईलाज में मौत ही लिख दी
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शादीशुदा लाइफ का मजा ही कुछ अलग...है ???? खाने को मिले या ना मिले, सुनने को भरपूर मिल जाता है...
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लफ्ज ढाई अक्षर ही थे.....कभी प्यार बन गए तो कभी जख्म.......
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दोस्तों के दिल ❤️ में और दुश्मन के दिमाग ? मे रहना आदत है हमारी..?
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उसका वादा भी अजीब था , कि जिन्दगी भर साथ निभायेंगे मैंने भी ये नहीं पुछा की, मोहब्बत के साथ….. या यादों के साथ…
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मेरी आँखों के जादु से अभी तुम कहा वाकिफ हो , हम उसे भी जीना सिखा देते हे जिसे मरने का शौक हो |
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