तुम साथ हो या ना हो क्या फर्क है …बेदर्द थी ज़िन्दगी बेदर्द है…
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मुफ्त में नही सीखा उदासी में मुस्कुराने का हुनर, बदले में ज़िन्दगी की हर खुशी तबाह की है हमने..??
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हमारी सोच और पहचान दोनो ही, तेरी’औकात’ से बाहर हैं। ??
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सच्ची दोस्ती एक अच्छे स्वास्थ की तरह है, खोने पर ही उसकी महत्वता पता चलती है
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कभी सोचा नहीं था, वो भी मुझे तनहा ? कर जाएगी, जो परेशान देख कर अक्सर कहती थी, मैं हूँ ना... ❤️
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कहीं बाजार में मिल जाये तो लेते आना…वो चीज़ जिसे दिल?का सुकून कहते हैं…!!
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गुरु का हाथ पकड़ के चलो , लोगों के पैर पकड़ने की नौबत नहीं आएगी
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तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों?की नमी हँसना?भी चाहूँ तो रूला?देती है तेरी कमी…!!
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बिखरे पल,भीगी पलके और ये तन्हाई है.....कुछ सौगाते है जो मोहब्बत से कमाई है....
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वाक़िये ? तो अनगिनत हैं #ज़िंदगी के, समझ नहीं आता, कि किताब लिखूँ या हिसाब ? लिखूँ..
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अब शिकायतें नहीं होती किसी से, बस हल्का सा मुस्कुरा देता हूं.
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हजारो बार ली हैं तलाशियाँ तुमने मेरे दिल की, बताओ कभी कुछ मिला है तुम्हारे सिवा !
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दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो, वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते हैं….!!
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गलती उसकी नहीं मेरी ही थी, अंजाम पता था, फिर भी दिल लगा बैठे.
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आज परछाई से पूछ ही लिया, क्यों चलती हो मेरे साथ, उसने भी हंसके कहा, और है कौन तेरे साथ |❤️
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गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है निराश न होना कमजोर 'तेरा वक्त है। 'तू नहीं
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खुद को बदलाव के लिए तैयार कीजिए, बहाने तो हर कोई बना लेता है ?
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बेहतर से बेहतर तलाश करो, नदी मिल जाए तो समन्दर की तलाश करो |?
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ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है..तो मेरा लहू लेले....यू कहानिया अधूरी न लिखा कर।
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मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।
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तेरे चेहरे में ऐसा क्या है आखिर, जिसे बरसों से देखा जा रहा है
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घुटन सी होने लगी थी, इश्क जताते जताते, हम खुद से रूठ गए थे, किसी को मनाते मनाते |?
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रोये बगैर तो प्याज भी नही कटता, यह तो जिंदगी है जनाब, ऐसे-कैसे कट जाएगी..?
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उँगलियाँ निभा रही हैं रिश्ते आजकल ज़ुबाँ से निभाने का वक्त कहाँ
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पछतावा अतीत नहीं बदल सकता, और चिंता भविष्य..!!?❤️
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जब रिश्ते ही दम तोड़ चुके हों.... तो फिर प्यार, इजहार,गलती का अहसास ,सही गलत कुछ भी मैटर नहीं करता। ?
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हर आरम्भ का मैं अंत हूँ, हर अंत का मैं आरम्भ हूँ , मैं सत्य हूँ; मैं शिव हूँ; मैं काल हूँ; मैं ही महाकाल हूँ !
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दिल की जिद हो तुम वरना, इन आखों ने बहुत लोग देखे है |❤️
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शराफत का जमाना ही नहीं रहा साहिब, किसी को इज्ज़त दो तो वो कमज़ोर समझ लेता है !!✔️✔️
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जिससे मिलने के बाद जीने की उम्मीद बढ़ जाये, समझना वही प्रेम है |
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