ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।
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कल थे मिले,फिर क्यों लगे ऐसे… तुमसे मिले अरसा हुआ जैसे…
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क्या पता था कि मोहब्बत ही हो जायेगी, हमें तो बस तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा था |
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मुझे नफरत पसंद है, लेकिन दिखावे का अपनापन नहीं 😠
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एक वक़्त था जब मोहब्बत की मिशाल देते थे लोग, अब जी भर जाये तो दिल से भी निकाल देते हैं लोग।❤️💯
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उसे ये कोन बतलाये, उसे ये कोन समझाए कि खामोश रहने से ताल्लुक टूट जाते है
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गिरे हुए लोगों को उठाना नही 😌 भूलना सीखो। 😈🖕
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नाम एक दिन में नहीं बनता, लेकीन एक दिन जरूर बनता है। 💯
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मुझे मरने का शौक तो नहीं है पर, तेरे इश्क़ से बेहतर मौत ही है..!
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अभी तो उनसे नजरें मिली ही थीं, कि हम अपना दिल वहीं छोड़ आये! कहने को तो बहुत कुछ था, पर कम्बखत वक़्त को हम रोक न पाये!!
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ज़माने को क्यों बताऊँ क्या हो तुम मेरे लिए, तुम्हें खामोशी से चाहना भी मुझे अच्छा लगता हैं ❤️
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खामोशियाँ बोल देती हैं जिनकी बाते नहीं होती , इश्क़ वो भी करते हैं जिनकी मुलाक़ाते नहीं होती
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“किसी को चाह कर ना पाना दर्द देता है, लेकिन पाकर खो देना ज़िन्दगी तबाह कर जाता है…..!”
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तुझे मेने धड़कनो में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब मज़ा आ रहा है धक् धक् करने में
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इश्क़ सच्चा वही …जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें …
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अगर फितरत हमारी सेहने की ना होती, तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की ना होती🖕
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जख्म देते हो फिर कहते हो सहते रहो, जान लेकर कहोगे जीते रहो.
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प्यार वो नहीं जो कोई कर रहा है प्यार वो है जो कोई निभा रहा है 🥰
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मत हटाया करो यूँ दुपट्टे अपने चेहरे से, सीधा सा दिल मेरा बेइमान होने लगता है।
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वो इश्क़ ही क्या जिसमे हिसाब हो, मोहब्बत हमेशा बेहिसाब होती है.
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वो भी बात करते है कदर की , जो खुद किसी की कदर नहीं करते...
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गुरु का हाथ पकड़ के चलो , लोगों के पैर पकड़ने की नौबत नहीं आएगी
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बस एक बार , उलझना है तुमसे, बहुत कुछ , सुलझाने के लिये
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कर्जदार हूं उस हकीम का, जिसनें दवा में तेरा दीदार लिखा |
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तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी..और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ..!!!
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रोज रोते रोज़ ये कहती है जिंदगी मुझसे, सिर्फ एक शख्स की खातिर यूँ मुझे बर्बाद ना कर।
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तू चालाकी से कोई चाल तो चल, जीतने का हुनर मुझ में आज भी हैं !
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मेरे दर्द से वाकिफ नहीं अपनी खता मानता ही नहीं | क्या शिकायत करू उसे जो वफ़ा जानता ही |
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इन आंखों की गुस्ताखी तो देखिए , तुम से आंखें मिलाने के बाद कुछ और देखने को राजी ही नहीं .
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कैसी है मुहब्बत तेरी महफिल में मिले तो अनजान कह दिया !! सन्हा जो मिले तो जान कह दिया..
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