कितना प्यार करते है तुमसे ये कहा नहीं जाता, बस इतना जानते है बिना तुम्हारे रहा नहीं जाता
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यहाँ किसकी मज़ाल है जो छेड़े दिलेर को, गर्दिश में तो कुत्ते भी घेर लेते हैं शेर को..!!?
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जिनकी हँसी खूबसूरत होती है, उनके जख्म काफी गहरे होते हैं.?
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जब छोटे थे तो बातें भूल जाते थे तो सब कहते थे याद रखना सीखो, अब जब बड़े हो गए हैं तो हर बात याद रहती है तो सब कहते हैं भूलना सीखो.
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नशा कोई भी हो जान लेवा ही होता है ..यकीन तब हुआ जब तेरी लत लगी...??
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पता नहीं सुधर गया के बिगड़ गया, ये दिल अब किसी से बहस नहीं करता..!
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समझदार बनिए. गुस्से में लिया गया कोई भी निर्णय सही नहीं होता | ?
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इन बादलों के बीच कहीं खो गया है, सुना है मेरा चांद ? किसी और का हो गया है ?
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मैं ख़ुशी तलाश कर रहा था और मुझे तुम मिल गए |
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ना घर पर रहते है ना घाट पर रहते है हम तो उनकी शरण में रहते है जिन्हें लोग महाकाल कहते हैं
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मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह, उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समजा होगा
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"अगर अपनी औकात देखनी है तो अपने बाप के पैसे का इस्तेमाल करना छोड़ दो."
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सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती! न करेंगे किसी से वादा! पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की करना पड़ा दोस्ती का वादा
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दर्द को भी आधार कार्ड से जोड़ दो जनाब, जिन्हे मिल गया हो, उन्हे दोबारा ना मिले.
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यकीनन तुम्हें तलाशती हैं मेरी आंखें........ये बात अलग है हम ज़ाहिर नहीं होने देते.....
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दिल लगाने से अच्छा है , पेड़ लगाऐ , वोह घाव नही कम से कम छाव तोह देगे
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बिछड़ कर फिर मिलेंगे यकींन कितना था, था तो ख्वाब, मगर हसीन कितना था |
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सजा ये है कि बंजर जमीन हूँ मैं और, जुल्म ये है कि बारिशों से इश्क़ हो गया |
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खुद से बात कर के खुद से ही झगड़ता हूँ, तुम्हारे जाने के बाद अंदर से कितना उलझता हूँ....
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जय श्री राधा सनेह बिहारी जी ॥
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खुलकर उड़ने का शौक तो हमें भी है, साहब मगर घर की जिम्मेदारियों ने बाँध रखा है |
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उनकी जब मर्जी होती है तब हमसे बात करते हैं, और हम पागल पूरा दिन उनकी मर्जी का इंतज़ार करते हैं|
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अफ़सोस सिर्फ इस बात का है , उसको मेरी कमी का कोई गम नहीं |
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सीख नही पायें हम मीठे झूठ का हुनर; कड़वे सच ने कई रिश्ते छीन लिए हमसे..❤️?
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वो बोलते रहे, हम सुनते रहे - जबाब आँखों में था , वो लफ्जों मे ढूढते रहे
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खामोशियां बेवजह नहीं होती, कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं.
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अच्छी लगती है ये खामोशियाँ भी अब हर किसी को जवाब देने का सिलसिला ख़त्म हो गया।
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साथ बैठने की औकात नहीं थी उसकी, जिसको मैंने सर पर बिठा रखा था..!!?
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मौत से पहले भी एक मौत होती है, देखो जरा अपनी मोहब्बत से जुदा होकर.
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तकदीर और मजहब ने अलग कर रखा है, वरना ये दिल तो कबसे उसका हो रखा है ।।❤️❤️
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