अनजान बन कर मिले थे, पता ही नहीं चला कब जान बन गए.
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“रिश्तो को वक़्त और हालत बदल देते है, अब तेरा ज़िकर होने पर हम बात बदल देते है।”??
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बातों को तेरी हम भुला ना सके …होके जुदा हम ना जुदा हो सके …
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हम उनसे तो लड़ लेंगे जो खुले आम दुश्मनी करते हैं... लेकिन उनका क्या करे जो लोग मुस्कुरा के दर्द देते हैं...
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चाहने वाले लाखों मिलेंगे तुम्हें, मगर परवाह करने वाला हर कोई नहीं होता |?❤️
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धड़कनों को कुछ तो काबू कर ले ऐ ❤️ दिल , अभी तो पलके झुकाई है, मुस्कुराना ? बाकी है उनका…
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अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो, तरीके बदलो.. ईरादे नही
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बात करने के लिए Topic की जरूरत नहीं होती, बस Feelings होनी चाहिए। ❤️?
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नींद चुराने वाले पुछते है सोते क्यों नहीं, इतनी ही फ़िक्र है तो, फिर हमारे होते क्यों नहीं !?
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तू भी आईने की तरह बेवफा निकला, जो सामने आया उसी का हो गया ❤️
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दिल पर लग जाती है उन्हें अक्सर हमारी बातें , जो कहते थे तुम कुछ भी बोलो बुरा नहीं लगता...
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जरुरी नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो, सुंदर और बेहद खूबसूरत हो, अच्छा तो वही इंसान होता है, जो तब आपके साथ हो, जब आपको उसकी जरुरत हो
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आंसू जता देते है "दर्द" कैसा है , "बेरूखी" बता देती है "हमदर्द" कैसा है
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प्यार था और रहेगा भी..लेकिन बस अब बार बार टूटने की हिम्मत खत्म हो गयी है डर में नही जी सकते के कब कौन बीच रास्ते साथ छोड़ जाए अकेले का सफर कठिन है जानती हूँ पर किसी के साथ रहकर भी तन्हा महसूस करना ज़्यादा बुरा लगता है ?
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यकीनन तुम्हें तलाशती हैं मेरी आंखें........ये बात अलग है हम ज़ाहिर नहीं होने देते.....
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कौन कहता है तेरे दर से मांगने वाला गरीब होता है जो तेरे दर तक पहुच जाय वो सबसे बड़ा खुशनसीब होता है
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दुश्मनों की अब किसे जरूरत है, अपने ही काफी है, दर्द देने के लिए।❤️
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चल जिंन्दगी नई शुरुआत करते है, जो उम्मीद दूसरों से की थी वो अब खुद से करते है |
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खुशिया मांगी थी मैंने खुदा से अपने लिया और देखो न मुझे तुम मिल गए
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एकतरफ़ा तो नहीं था प्यार हमारा फिर भी ना जाने क्यूं अधूरा रह गया |
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दुनिया ? तुम्हे उस वक्त तक नहीं हरा सकती, जब तक तुम खुद से ना हार जाओ…
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मेरी आत्मकथा.... सिर्फ तुम्हारी कहानी है....
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“अगर प्यार है तो शक़ कैसा …अगर नहीं है तो हक़ कैसा
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तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा, हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे सिवा |❤️
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बहुत नाराज़ थे तो रो ? पड़े, अपनों से क्या ही शिकायत करते। ?
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रेल की खिड़कीयां तो खोल दी थी हमने मगर रात थी जब तुम्हारा शहर आया था....!
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शुक्र है दिल सिर्फ धड़कता है, बोलता तो कयामत आ जाती.
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चाह कर भी उनका हाल नहीं पूछ सकते डर है कहीं कह ना दे कि ये हक्क तुम्हे किसने दिया
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बर्दाश्त नहीं तुम्हे किसी और के साथ देखना, बात शक की नहीं हक़ की है...!!
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उसको मालूम तो हैं मेरे हालातो के बारे मे, फिर खैरियत पूछकर मेरी मुश्किलें क्यों बढ़ाते हैं |
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