जब मोहब्बत बे-पनाह हो जाये ना.. तोह फिर पनाह कही नही मिलती
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वाक़िये ? तो अनगिनत हैं #ज़िंदगी के, समझ नहीं आता, कि किताब लिखूँ या हिसाब ? लिखूँ..
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साजिशों का पहरा होता है हर वक़्त रिश्ते भी बेचारे क्या करें, टूट जाते हैं बिखर कर...
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जो बीत गया है वो अब दौर ना आयेगा, तेरे सिवा दिल मे कोई और ना आयेगा..❤️
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ख्वाहिश थी उस रिश्ते को बचाने की… और बस इक यही वजह थी मेरे हार जाने की…
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शुक्रिया तुमने एक हस्ते हुए चेहरे को खामोश कर दिए
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हुस्न का क्या काम सच्ची मोहब्बत में, रंग सांवला भी हो तो यार कातिल लगता है।❤️❤️
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गलत सुना था कि मोहब्बत आँखों से होती है, दिल तो वो भी चुरा लेते है जो पलकें नहीं उठाते है.
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उन दिनों को याद करके हम मुस्कुराने लगते है,अपने दोस्तों की दोस्ती पे इतराने लगते है।
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दिल में फीलिंग्स का समुन्दर आता है जब आपका रिप्लाई एक मिनट के अंदर आता है
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लोग सूरत पे मरते है जनाब मुझे तो आपकी आवाज़ से भी इश्क़ है.
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काश तू लौट आये और कहे बस बहुत हो गया अब नहीं रहा जाता तेरे बिना
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जगत पालनहार है माँ, मुक्ति का धाम है माँ, हमारी भक्ति का आधार है माँ, सबकी रक्षा की अवतार है माँ, शुभ नवरात्रि
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रूठना भी छोड़ दिया है अब मैंने, उम्मीद नहीं कोई मनाने भी आयेगा।
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मुझसे नफरत तभी करना जब मेरे बारे में सब कुछ जान जाओ, तब नहीं जब किसी से सुना हो।?
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यूँ पल-पल न मरते, न रातों में रोते, काश हम मोहब्बत से अनजान होते!!
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सिकंदर तो हम अपनी मर्जी से है, पर हम दुनिया नहीं दिल ❤️ जितने आये हे।
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जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते है
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"आदमी का अमीर होना जरूरी नहीं है जमीर होना जरूरी है।" ?
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कोई पूछेगा तो सुबह का भूला कह देंगे, तुम आओ तो सही,हम शाम को सवेरा कह देंगे
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वो खुश रहे बस , मेरा क्या है मैं दूसरी पटा लूँगा
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जंगल में फिर खौफ ? छा रहा है सुना है घायल शेर ? फिर वापस आ रहा है !
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क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी.. अपनी खुशी को छोड़ दिया” उसे" खुश देखने के लिए ??
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ऐ दिल तू क्यों रोता है , ये दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है.
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बहुत भरोसे टूटे...लेकिन भरोसे की, आदत नहीं गई..!!
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कभी आओ इस क़दर की आने में लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
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लोग अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं मेरी आदतों से रुतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ !!"
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"गजब की दिवानगी है तुम्हारी मोहब्बत में, तुम हमारे नहीं फिर भी हम तुम्हारे हो गये"
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तुम्हे तुमसे भी ज्यादा चाहने लगा हूँ, गुमसुम बैठे-बैठे मुस्कुराने लगा हूँ |
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इज़्ज़त, मोहब्बत, तारीफ़ और दुआ...माँगी नहीं जाती, कमाई जाती है...।।
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