लोग अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं मेरी आदतों से रुतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ !!"
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वो मेरा नहीं फिर भी मेरा है, ये कैसी उम्मीद ने मुझे घेरा है |❤️
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कौन कहता है.. दोस्ती बर्बाद करती है निभाने वाला मिल जाए तो दुनिया याद करती है
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जुनून सवार था किसीके अंदर ज़िंदा रहने का....हुआ यूं के हम अपने अंदर ही मर गये...
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माँ ! मैं सब कुछ भूल सकती हूँ…तुम्हे नहीं ।
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याद तो रोज करते है उन्हें , पर उन्होने कभी महसूस ही न किया.. 😌
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जिनकी हँसी खुबसूरत होती है, उनके 'ज़ख्म' काफी गहरे होते है ।
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यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है
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मिल सके आसानी से उसकी खवाहिश किसे है , ज़िद्द तो उसकी है जो मुक्कदर में लिखा ही नहीं है
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उनके प्यारे से चेहरे पर रंग लगा देते! वो पास होते तो हम भी होली मना लेते !!
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बिन कहें मेैं समझ जाउ , वो अहसांस हो तुम
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इतने बड़े बनो कि जब आप खड़े हों तो कोई बैठा न रहे। 💯
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किताबों की अहमित, अपनी जगह है जनाब, सबक वही याद रहता है, जो वक़्त और लोग सिखाते हैं।💯❤️
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किसी और की क्या तारीफ करना, जब मेरा हमसफर ही लाजबाव हैं.
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वो सिर्फ मेरी थी, लेकिन सिर्फ मेरे सामने
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दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज़ नये बहाने से... वो हो गया है वाकिफ़ मेरे हर ठिकाने से..❤️
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चुप हूँ तो चुप ही रहने दो मुझे, अगर बोल पड़ा तो काफी चेहरों को नफरत हो जाएगी!😠
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ना साथ है किसी का, ना सहारा है कोई, ना हम किसी के हैं ना हमारा है कोई.
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सब कुछ पा लिया तुमसे इश्क़ करके बस कुछ रह गया तो वो तुम हो...🥰🥰
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शोर सी है जिंदगी मेरी, सुकून सा है इश्क तेरा!!
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प्यार किया नहीं जाता हो जाता है लेकिन दिल टूटता नहीं उसे तोड़ दिया जाता है.
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हथियार तो सिर्फ शोक के लिए रखा करते हैं, खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी है..!!🔫
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पहचान बड़े लोगो से नहीं, साथ देने वाले लोगो से होनी चाहिए |🧑🏻🤝🧑🏻
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जिंदगी का असली मजा तो तब आता है, जब दुश्मन भी आपसे हाथ मिलाने को बेताब रहे।😎💯
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किसी रोज़ मिलने से प्यार हो या न हो लेकिन किसी रोज़ बात करने से उसकी आदत जरूर हो जाती है
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दो पल भी नहीं गुज़रते तुम्हारे बिन,ये ज़िन्दगी ना जाने कैसे गुज़ारेंगे!
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वक़्त मिले तो बात कर लिया करो, मौत का सीजन चल रहा है, पता नहीं कल क्या होगा। ❤️💯
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ना घर पर रहते है ना घाट पर रहते है हम तो उनकी शरण में रहते है जिन्हें लोग महाकाल कहते हैं
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खुदा मेरे दुश्मनों को लम्बी उम्र दें ! ताकि वो मेरी क़ामयाबी देख सकें !!"
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अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।”
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