जरुरी तो नहीं हर पल तेरे पास रहू मोहब्बत और इबादत दूर से भी की जाती है
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हीरा बनाया है ईश्वर ने हर किसी को, पर चमकता तो वही है जो तराशने की हद से गुजरता है . सतनाम श्री वाहेगुरु |
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पढ़ना लिखना त्याग, नक़ल से रख आस, ओढ़ रजाई सो जा बेटा, रब करेगा पास
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रहने दो अपनी जुल्फों को चेहरे पर यूं ही ये चाँद बादलों में ज्यादा हसीन लगता हैं ..
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मिज़ाज में थोड़ी सख्ती लाजमी है हुजूर, लोग पी जाते समंदर अगर खारा ना होता।
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एक अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम, झाँकते ज्यादा है..!
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वो लोग क्यों मिलते ही दिल में उतर जाते है, जिन लोगो से किस्मत के सितारे नहीं मिलते..
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वो मन बना चुके थे दूर जाने का, हमे लगा हमे मनाना नहीं आता
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वो जो कल रात चैन से सोया हैं , उसको खबर भी नहीं कोई उसके लिए कितने रोया हैं..
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सब लोग बुरे नहीं होते कुछ लोगों का दिमाग खराब होता है
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"बेबस कर दिया है , तूने अपने बस में करके......."
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नब्ज तो चल रही है आज भी मेरी पर, वो हकीम कहता है, मैं मर चुका हूं मोहब्बत में !
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बहुत कुछ पाने वाले बहुत कुछ खोया करते हैं, इस दुनिया में हसने वाले सबसे ज़्यादा रोया करतें हैं
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गुरु का हाथ पकड़ के चलो , लोगों के पैर पकड़ने की नौबत नहीं आएगी
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अपने सपनो को सफल बनाने के लिए बातों से नही , रातों से लढना पड़ता है।
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क्या गिला करें उन बातों से क्या शिक़वा करें उन रातों से कहें भला किसकी खता इसे हम कोई खेल गया फिर से जज़बातों से
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मैं अपने खिलाफ बाते अक्सर ख़ामोशी से सुनता हूं, जवाब देने का काम मैंने वक़्त को दे रखा है |?
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थोड़ा और बताओ ना मुझे मेरे बारे में, सुना है बहुत अच्छे से जानते हो तुम मुझे ।।?
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तुम्हारे लिए मिट जाने का इरादा था, तुम खुद ही मिटा दोगे सोचा ना था.
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तुम्हे अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी क्युकि लोग बुरे वक़्त में सिर्फ सलाह देते है साथ नहीं
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तरस गए हैं तेरे मुँह से कुछ सुनने को हम, प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे..।।?
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दिखावा मत कर शहर में शरीफ होने का लोग खामोश तो है पर ना-समझ नहीं..!?
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तू चालाकी से कोई चाल तो चल, जीतने का हुनर मुझ में आज भी हैं ! ?
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जिसे सोचकर ही चेहरे पर ख़ुशी आ जाए वो खूबसूरत एहसास हो तुम.
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तेरी नाराज़गी वाजिब है दोस्त.. मैं भी खुद से खुश नहीं हूं आजकल...
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मेरे दिल का दर्द किसने देखा है, मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है ,हम तन्हाई में बैठे रोते है,लोगो ने हमे महफ़िल में हस्ते देखा है।
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कैसे कह दूं कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है |
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वो शख्स एक छोटी सी बात पे यूँ चल दिया , जैसे उसे सदियों से किसी बहाने की तलाश थी .
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अनुभव कहता है, खामोशियाँ ही बेहतर है. शब्दो से लोग रूठते बहुत है।
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सिर्फ जंगल ही छोडा है याद रखना शेर तो हम आज भी है |
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