भीड़ तन्हाइयों का मेला है, यहाँ हर आदमी अकेला है |??
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इश्क ना सही फिकर है तू ना सही तेरा ज़िकर है |
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एक ख़्वाब था की वह भी मुझे चाहे मेरी तरह पर ख़्वाब ही रह गया
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फर्क तोह लोगो की सोच का है वरना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होती.
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जब मेरे पास कोई नही था..तब मेरा साथ निभाने का शुक्रिया
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हमारा उसका अब रिश्ता न पूछो तालुक तो है मगर टुटा हुआ है
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टूट सा गया है मेरी चाहत का वजूद ,अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इज़हार नहीं करते?
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ज़िन्दगी से यही सीखा है मेहनत करो रुकना नहीं हालत कैसे भी हो किसी के सामने झुकना नहीं
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जरा सा भी नहीं पिघलता दिल तुम्हारा, इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से खरीदा ..❤️?
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हिचकियां रूक ही नहीं_रही हैं आज, ☝ पता नहीं हम किसके दिल ❤ में अटक_गए हैं ।।
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पता नहीं क्या बात है तुज में जो हर पल तुम्हे सोच कर भी मन नहीं भरता है
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नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
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जगह देनी है तो अपनी रूह में दे दो.. यूँ दिलों में तो, बहुतों के बसते हैं हम.?
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एक वक़्त था जब मोहब्बत की मिशाल देते थे लोग, अब जी भर जाये तो दिल से भी निकाल देते हैं लोग।❤️?
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जिंदगी का असली मजा तो तब आता है, जब दुश्मन भी आपसे हाथ मिलाने को बेताब रहे।??
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बड़ी कश्मोकश है इन दिनो ज़िन्दगी में...किसी को ढूंढते फिर रहे हैं हर किसी में....
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वो जो कल रात चैन से सोया हैं , उसको खबर भी नहीं कोई उसके लिए कितने रोया हैं..
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बहुत भीड हो गई है लोगों के दिलों में...इसलिए आजकल हम अकेले ही रहते हैं...!
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रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा, प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा,
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परवाह नहीं चाहे ज़माना कितना भी खिलाफ हो हिसाब सबका होगा चाहे कोई कितना भी बड़ा नवाब हो |??
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शीशे की तरह साफ़ हूँ फिर भी न जाने क्यू अपनों की समझ से बाहर हूँ..?
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जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते, ये ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते |❤️?
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दुश्मनी मंजूर है साहब, किसी के तलवे चाटना हमारे उसुलो के खिलाफ है |??
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अगर पहले हम ये जन लें की हम कहाँ पर हैं और हम किस दिशा में जा रहे हैं, तो हमें क्या और कैसे करना चाहिए इसका बेहतर निर्णय कर सकते हैं
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जीवन मैं एक बार जो फैसला कर लो तो फिर पीछे मुड़कर मत देखना क्योंकि पलट कर देखने वाले इतिहास नहीं बनाते
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मुझे अब महफिलों में लौट कर आना पड़ेगा, फर्क होता है बाप और बेटे में, बताना पड़ेगा।?
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मंजिल के लिए मेहनत करते रहो, कामयाबी एक दिन जरूर मिलेगी।
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हर ख़्वाब मेरा, उम्मीद मेरी …मैं तुझसे जोड़ दूँ…
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पुरानी होकर भी खास होती जा रही है मोहब्बत बेशर्म है जनाब बेहिसाब होती जा रही है |
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