नाम एक दिन में नहीं बनता, लेकीन एक दिन जरूर बनता है। 💯
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आँखों से दूर दिल के करीब था मैं उसका और वो मेरा नसीब था न कभी मिला न कभी जुदा हुआ रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था, ❤
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मैं कैसे छोड़ दूं तुझे ऐ दोस्त. जब कोई नहीं था, तब तू ही तो था।💙🥀
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मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया, फिर भी हर लम्हा लगता है कि मैंने उसे खो दिया…..!
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उनको लगी खरोंच का पता पुरे शहर को है, हमारे गहरे जख्म की कहीं चर्चा तक नहीं !!
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मैं रहूँ या ना रहूँ …तुम मुझ में कहीं बाकी रहना…
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जब कभी तुम मुस्कराओ बिना बात के, समझ लेना हमारी दुआ कबूल हो गयी।
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"उतर जाते है कुछ लोग दिल में इस कदर इन्हे दिल से निकालो तो जान निकल जाती है..."
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न शक न शिकवा न शिकायत थी हमें बस हर रोज तुम्हें देखने की आदत थी हमें |
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आते है दिन हर किसीके बेहतर, जिंदगी के समंदर में हमेशा तुफान नहीं रहते !!
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मंजिल के लिए मेहनत करते रहो, कामयाबी एक दिन जरूर मिलेगी।
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हमारी हसी पे मत जाना, फूल तो कब्र पर भी होते है!🥀
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कण कण में विष्णु बसें जन जन में श्रीराम प्राणों में माँ जानकी मन में बसे हनुमान ! जय श्री राम
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सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले || हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया ||🥺🥺
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ईमानदारी, एक मंहगा 💰 शोख है।जिसको पूरा करना, सबके हैसियत की बात नहीं। 💯
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कौन होता है दोस्त? दोस्त वो जो बिन बुलाये आये, बेवजह सर खाए, जेब खाली करवाए, कभी सताए, कभी रुलाये, मगर हमेशा साथ निभाए
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गलती से ही सही एक कॉल लगा दो "गलती से लग गया था सॉरी" कहकर अपनी आवाज सुना दो!! 🥰
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मोहब्बत तो मेरी आधी रह गई, मगर खुश हूँ मैं क्यूंकि उसका टाइम पास तो पूरा हो गया ||
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यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है
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हम तो हँसते हैं दूसरों को हँसाने के लिए, वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि ठीक से रोया भी नहीं जाता
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किसी से नाराजगी इतने वक्त🕰️तक ना रखो कि वह तुम्हारे बगैर ही जीना सीख जाए…!!😥
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उस दिन चैन तो तुम्हारा भी उड़ेगा जिस दिन हम तुम्हे लिखना छोड़ देंगे |
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दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज़ नये बहाने से... वो हो गया है वाकिफ़ मेरे हर ठिकाने से..❤️
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अपनी मर्जी से भी दो चार कदम चलने दें ऐ-जिन्दगी, तेरे कहने पे तो बरसों चलें हैं..🥺
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कितना भी मुश्किल क्यूँ न हो सफ़र जिंदगी का, मोहब्बत का साथ मिले तो आसानी से कट जाता है !
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उसके बदलने का कोई दुःख नहीं, बस अपने ऐतबार पर शर्मिंदा हूं
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रेल की खिड़कीयां तो खोल दी थी हमने मगर रात थी जब तुम्हारा शहर आया था....!
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उसका वादा भी अजीब था कि जिन्दगी भर साथ निभायेंगे मैंने भी ये नहीं पुछा की मोहब्बत के साथ या यादों के साथ..!!
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घुटन सी होने लगी थी, इश्क़ जताते जताते हम खुद से रूठ गए थे किसी को मनाते मनाते।।🥺🥺
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