कभी मौका मिले तो सोचना ज़रूर कि एक लापरवाह शख़्स तेरी इतनी परवाह क्यूं करता है
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रोज़ नहीं पर कभी कभी तो वो शख्स मुझे जरूर सोचता होगा
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दोस्त बेशक एक हो लेकिन ऐसा वह जो अल्फाज से ज्यादा खामोशी को समझे
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मोहब्बत ज़िंदगी बदल देती है , मिल जाए तो भी ना मिले तो भी
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मत करो उसके मैसेज का इन्तजार जो ऑनलाइन तो है पर किसी और के लिया..
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भर्री महफ़िल में दोस्ती का ज़िकर हुआ , हमने तो सिर्फ आपकी और देखा और लोग वाह वाह कहने लगे
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निभा दिया उसने भी दस्तूर दुनिया का तो गिला कैसा पहचानता कौन है यहां मतलब निकल जाने के बाद...
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सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले || हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया ||??
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बात इतनी मधुर रखो कि, कभी खुद भी वापिस लेनी पड़े तो कड़वी ना लगे..!!❤️
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रफ़्तार मेरी धीमी ही सही, मगर उड़ान ? जरूर लंबी होगी..!
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अगर गलतियां निकालने का इतना ही शौक है तो शुरुआत ख़ुद से करना!
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दूरियां तो पहले ही आ चुकी थीं, इस ज़माने में, एक बीमारी ने आकर इल्ज़ाम अपने सर ले लिया.❤️
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मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, पाला है बड़े नाज़ से मेरे गमों ने मुझे!!
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हैसियत का कभी अभिमान न करना उड़ान ज़मीं से शुरू और जमीं पे ही ख़त्म होती है ?
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दुनिया ? तुम्हे उस वक्त तक नहीं हरा सकती, जब तक तुम खुद से ना हार जाओ…
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कैसा अजीब खेल है मोहब्बत का जनाब, एक थक जाए तो दोनों हार जाते हैं |
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बिखरे पल,भीगी पलके और ये तन्हाई है.....कुछ सौगाते है जो मोहब्बत से कमाई है....
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कुछ तो खास है जो तुझे मुझसे जोड़े रखता है वरना इतना माफ़ तो मैंने खुद को भी नहीं किया.
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एक गुलदस्ता लाया था उस तितली की खातिर जो अब किसी और के बग़ीचे में उड़ती है |
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इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना , सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं
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हम अपनी मिसाल खुद हैं, किसी और जैसा बनने कि तमन्ना नहीं रखते..
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शरीफों की शराफत और हमारा कमीनापन किसी को अच्छा नहीं लगता!! ??
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"बनना है तो किसी के दर्द की दवा बनो, जख्म तो हर इंसान देता है !!"
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दिल के मरीज़ हॉस्पीटल से ज्यादा, ऑनलाइन मिलते हैं.??
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पूछा जो हमनें किसी और के होने लगे हो क्या, वो मुस्कुराकर बोले पहले तुम्हारे थे क्या.
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हर ख़्वाब मेरा, उम्मीद मेरी …मैं तुझसे जोड़ दूँ…
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क़ोई ज़ुदा हो तो ऐसे ना हो, कि लौटने का भ्रम रह जाये
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मै तब भी अकेला नहीं था, नहीं आज भी हु, तब यारो का काफिला था, आज यादो का कांरवा है
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मिलावट का जमाना है साहिब,,,कभी हमारी हां में हां भी मिला दिया करो...
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मुझे "परखने " में पूरी ज़िन्दगी लगा दी उसने काश कुछ वक़्त "समझने" में लगाया होता
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