सेवा सबकी कीजिये मगर आशा किसी से मत रखिये क्योंकि सेवा का सही मूल्य भगवान ही दे सकता है इंसान नहीं |
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“प्यार का रिश्ता कितना अजीब होता है, मिल जाये तो बातें लम्बी और बिछड़ जाए तो यादें लम्बी।”
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18
कैसे करूँ मैं तुम्हारी यादों की गिनती..... साँसों का भी कोई हिसाब रखता हैं क्या...
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अक्सर अकेलेपन से जो गुजरता हैं वही ज़िंदगी में सही फैसलों को चुनता हैं.
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224
हमारी ताकत का अंदाजा हमारे ज़ोर से नहीं , दुश्मन के शोर से पता चलता है !??
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70
लाइफ में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है जिसे लोग कहते हैं तुम नहीं कर सकते
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758
नजरें ? झुकी थी और चेहरे ? पे क्या नूर था, उसकी सादगी में भी कितना गुरुर था!❤️
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43
खुदा ने मुझे वफादार दोस्तों से नवाज़ा है याद मैं ना करूँ, तो कोशिश वो भी नहीं करते
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737
हम उनसे रीश्ता नही रखते, जिन्हे उंचाईयों से डर लगता है | ??
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10
साथ छोडने वालो को तो बस.. ऐक बहाना चाहिए। वरना निभाने वाले तो मौत के दरवाझे तक साथ नही छोडते।
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689
अंदाजा ताकत का लगाया जाता है हौसले का नहीं।
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16
हम ना पा सके तुझे मुदतो के चाहने के बाद , ओर किसी ने अपना बना लिया तुझे चंद रसमे निभाने के बाद !!
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27
सुनो, अपनी हद में रहो, बेहद याद आने लगे हो तुम.!
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40
वो मेरी मोहब्बत है, और मैं सिर्फ उसकी एक आदत !
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66
जरूरत से ज्यादा इज्जत,और वक्त देने से लोग बदल जाते है।??
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तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास , लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको
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146
मैं हर रूप में तुम्हारी मदद के लिए आता हूँ ; मुझे ढूंढो मत केवल पहचानो |
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हम तो हँसते हैं दूसरों को हँसाने के लिए वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि ठीक से रोया भी नहीं जाता..
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मोहब्बत तोह आज भी करते है, लेकिन तू बे -खबर है, कल की तरह.
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11
जैसे प्यार से सभी चीज़ें आसान लगती हैं, उसी तरह उम्मीद से सब कुछ संभव लगने लगता है
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सामने बोला करो? पीछे तो कुत्ते ? भौंकते हैं
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किसी पर कभी भी बहुत ज्यादा निर्भर ना रहे क्योकि अंधेरो में परछाई भी साथ छोड़ देती है
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हम ऊंची आवाज़ पसंद नहीं करते, ख़ामोश रहो या औकात में ??
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जब कभी तुम मुस्कराओ बिना बात के, समझ लेना हमारी दुआ कबूल हो गयी।
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दर्द को भी आधार कार्ड से जोड़ दो जनाब, जिन्हे मिल गया हो, उन्हे दोबारा ना मिले.
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न जाने कैसा नशा है ये आशिक़ का इसमें इंसान कम और खिलौना ज्यादा नज़र आता है |
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दास्तां सुनाऊं और मज़ाक़ बन जाऊँ बेहतर है मुस्कुराऊं और ख़ामोश रह जाऊँ
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तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी, कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई.??
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शर्त लगी थी ख़ुशी को एक अलफ़ाज़ में लिखने की, लोग किताबें ढूंढ़ते रह गए हम ने दोस्त लिख दिए |
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उन्होंने पूछा तोफे ? में क्या चाहिए, हमने कहा वो मुलाकात ? जो कभी ख़त्म ना हो। ?
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