भुला दूंगा तुझे ज़रा सब्र तो कर , तेरी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही।
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नफ़रत की एक बात अच्छी लगी मुझे, ये मोहब्बत की तरह झूठी नहीं है साहब !!?❤️
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खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मो से खेलते हैं , रूह से मोहब्बत करने वालो को अक्सर तड़पते देखा है
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मेरे बस में नहीं अब हाल-ए-दिल बयां करना बस यह समझ लो लफ्ज़ कम मोहब्बत ज्यादा है
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बहुत भरोसे टूटे...लेकिन भरोसे की, आदत नहीं गई..!!
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नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर, कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए…तो भी दिल धड़क जाता है..??
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दुख में अक्सर जज्बात मर जाते हैं, मगर इंसान जीना सीख जाता है ✔️
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जब तक पैसा है वो पूछेगी,? मेरा बाबू कैसा है?
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जो मजा अपनी पहचान बनाने में है, वो किसीकी परछाई बनने में कहा |
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लाइफ में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है जिसे लोग कहते हैं तुम नहीं कर सकते
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मुझ से पहले भी उसका कोई था मेरे बाद भी उसका कोई है
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मत करो उसके मैसेज का इन्तजार जो ऑनलाइन तो है पर किसी और के लिया..
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मेरी चाहत का इस तरह मजाक मत बनाओ, कि तुम्हारी आंखें ?️ ही तरस जाए, मुझे दोबारा देखने के लिए।
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बस एक भूलने का हुनर ही तो नहीं आता...वरना भूलना तो हम भी बहुत कुछ चाहते हैं...!
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मंजिल मेरे कदमों से अभी दूर बहुत है... मगर तसल्ली ये है कि कदम मेरे साथ हैं
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बाज़ार गया था आँसू बेचने हर ख़रीददार बोला की, अपनों के दिए तोहफे बेचा नहीं करते..
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दुरिया मायने नहीं रखती, जब दिल एक दुसरे के वफादार हो।
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बहुत गौर से देखने पर जिंदगी को जाना मैंने...दिल से बड़ा दुश्मन पूरे जमाने में नहीं है
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मैंने पूछा उनसे, भुला दिया मुझको कैसे? चुटकियाँ बजा के वो बोले… ऐसे, ऐसे, ऐसे।?
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तू छूट कर, क्यों छूटा नहीं ,कुछ तो जुदा है अभी ,मैं टूट कर, क्यों टूटा नहीं
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नाम की दोस्ती काम की यारी दूसरो की तरह ये आदत नहीं हमारी |❤️?
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एक खूबसूरत सा रिश्ता यूँ खतम हो गया..हम दोस्ती निभाते रहे…..और उसे इश्क हो गया
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मेरी मोहब्बत की कातिल मेरी ग़रीबी ठहरी उसे ले गए ऊँचे मकाँ वाले....!
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बुरा किया भी नहीं और बुरे बन भी गए हम |??
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यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है
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डाल कर...आदत बेपनाह मोहब्बत की...अब वो कहते है...कि...समझा करो वक़्त नही है...
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नजरें ? झुकी थी और चेहरे ? पे क्या नूर था, उसकी सादगी में भी कितना गुरुर था!❤️
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काश रोने से नसीब बदल जाता, कसम तुम्हारी आंसुओं से दुनिया डुबो देते ??
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शीशे की तरह साफ़ हूँ फिर भी न जाने क्यू अपनों की समझ से बाहर हूँ..?
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बस एक बार , उलझना है तुमसे, बहुत कुछ , सुलझाने के लिये
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