बचपन से ही शौक था अच्छा इंसान बनने का, लेकिन बचपन खत्म और शौक भी खत्म..?
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अगर पहले हम ये जन लें की हम कहाँ पर हैं और हम किस दिशा में जा रहे हैं, तो हमें क्या और कैसे करना चाहिए इसका बेहतर निर्णय कर सकते हैं
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अंदाजा लगाना छोड़ दो हमारे बारे में..तुम सिर्फ उतना ही जानते हो, जितना हमने बता रखा है..??
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जो होकर भी ना हो.. उसका होना कैसा... नाम के रिश्तों से शिकवा कैसा..रोना कैसा....
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मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना, जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी.
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गुलाब तो नहीं दिया कभी हमने लेकिन, मोहब्बत गुलाब देने वालो से ज्यादा थी.
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नशा कोई भी हो जान लेवा ही होता है ..यकीन तब हुआ जब तेरी लत लगी...??
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मै रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों , आंख खुली तोह देखा सर माँ के कदमो मे था.
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जब तुम पास होते हो तब दिल चाहता है की वक़्त रुक जाए.... ?❤
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एक घुटन सी होती है जब कोई दिल में तो रहता है मगर साथ नहीं..?
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हल्दी लगाने की उम्र है मेरी और लड़कियाँ चुना लगा कर जा रही है
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मेरी जिंदगी तेरे साथ शुरू तो नहीं हुई पर ख्वाहिश है खत्म तेरे साथ ही हो ?❤️
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जो बीत गया सो बीत गया…आने वाला सुनहरा कल है वो…..मैं कैसे भुला दूँ दिल से उसे… मेरी हर मुश्किल का हल है वो
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पता है तकलीफ क्या है किसी को चाहना फिर उसे खो देना और खामोश हो जाना
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मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है , मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की..........❤️
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बात करने से ही बात बनती है..बात ना करने से, बातें बन जाती है ..!
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कभी फुर्सत मिले तो सोचना, क्यूँ एक लापरवाह लड़का तुम्हारी इतनी परवाह करता था.
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भर्री महफ़िल में दोस्ती का ज़िकर हुआ , हमने तो सिर्फ आपकी और देखा और लोग वाह वाह कहने लगे
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अकेले रहने का भी एक अलग सुकून हे | ना किसी के वापस आने की उम्मीद, ना किसी के छोड़ जाने का डर.....
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बादशाह नही, टाइगर हूँ मैं, इसलिए लोग इज्ज़त से नही, मेरी इजाज़त से मिलते है।?
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हम तो बस जरूरत थे, जरूरी तो कोई और था | ?
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प्यार भी कितना अजीब होता है न , वो चाहे कितनी भी तकलीफ दे पर सुकून उसी के पास मिलता है
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जिनकी संगत मैं ख़ामोश संवाद होते है, अक्सर वो रिश्ते बहुत ही ख़ास होते हैं।
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नजरें ? झुकी थी और चेहरे ? पे क्या नूर था, उसकी सादगी में भी कितना गुरुर था!❤️
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कहा ना,सुकून मिलता है जब-जब तुम्हें सोचते हैं
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मुलाकात बनकर मिला था मुझ से कोई बड़ी जल्दी गुजर गया वक़्त की तरह.
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आदत थी मुझे सबसे हसकर बोलने की, मेरा शौंक ही मुझे बदनाम कर गया |?
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क्या करोगे अब मेरे पास आकर खो दिया तुमने मुझे बार-बार आजमा कर..
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कल थे मिले,फिर क्यों लगे ऐसे… तुमसे मिले अरसा हुआ जैसे…
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अपनी मर्जी से भी दो चार कदम चलने दें ऐ-जिन्दगी, तेरे कहने पे तो बरसों चलें हैं..?
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