मुझे फुरसत कहा जो मौसम सुहाना देखू महादेव की यादों से निकलू तो जमाना देखू
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शरीफ थे तब सबने बदनाम किया, जबसे बुरे बने तो दुश्मन ने भी सलाम किया..!
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मेरी बदमाशी का अंदाज़ा इससे लगाओ जब मैं ? शरीफ था तब भी लोग मुझे बदमाश ही कहते थे। ?
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मुझको क्या डराओगे मौत से मैं तो पैदा ही क़ातिलों की गली में हुआ हूँ। ?
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सो जाया करो जल्दी कभी – कभी, ख्वाबो को तुम्हारा इंतज़ार रहता है
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जो बीत गया है वो अब दौर ना आयेगा, तेरे सिवा दिल मे कोई और ना आयेगा..❤️
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इश्क न हुआ कोहरा हो जैसे....तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नहीं....
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422
दुनिया ? तुम्हे उस वक्त तक नहीं हरा सकती, जब तक तुम खुद से ना हार जाओ…
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उनका दिल ❤️ कैसे जीत लेते जो किसी और को अपना दिल हार गया हो।। ?
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हम दोनों एक ही किताब में रहेंगें, तुम गुलाब के जैसे, मैं खुशबू की तरह.
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बहुत उदास हे कोई तेरे जाने से हो सके तो लौट आ किसी बहाने से, तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख ,कोइ टूट गया है तेरे रूठ जाने से।
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211
मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह, उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समजा होगा
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क्यों सवरू मैं किसी के लिए, जब बिखरी झुलफो में तुम मुझे ख़ूबसूरत कह देते हो ❤
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खुदा मेरे दुश्मनों को लम्बी उम्र दें ! ताकि वो मेरी क़ामयाबी देख सकें !!"
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कोई एक शख्स तो युं मिले.. कि वो मिले , तो सुकून मिले..!!
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ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है..तो मेरा लहू लेले....यू कहानिया अधूरी न लिखा कर।
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उम्मीदों की शमा को कभी बुझने ना देना, एक जुगनू ही काफी है उजाले के लिए।?
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अगर गलतियां निकालने का इतना ही शौक है तो शुरुआत ख़ुद से करना!
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या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||
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मत पूछ मेरे जागने की वजह, ए चाँद तेरा ही हमशक्ल है जो मुझे सोने नही देता....?
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मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हे याद करते करते
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रेल की खिड़कीयां तो खोल दी थी हमने मगर रात थी जब तुम्हारा शहर आया था....!
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बहुत खूबसूरत वो रातें होती है, जब तुमसे दिल की बातें होती है
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अजीब सी आदत है अपनी, नफरत हो या मोहब्बत बड़ी शिद्दत से करते हैं ।??
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बड़े बेताब थे वो मोहब्बत करने को हमसे, जब मैंने भी कर ली तो उन्होने शौंक बदल दिया.
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मत करो उसके मैसेज का इन्तजार जो ऑनलाइन तो है पर किसी और के लिया..
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यक़ीं न आए तो इक बार पूछ कर देखो जो हँस रहा है वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा...
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बचपन से ही शौक था अच्छा इंसान बनने का, लेकिन बचपन खत्म और शौक भी खत्म..?
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हर धोके का हिसाब लेंगे, और तुम्हारा गुरुर चूर-चूर कर देंगे।
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मंजिल मेरे कदमों से अभी दूर बहुत है... मगर तसल्ली ये है कि कदम मेरे साथ हैं
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