उनकी नफरत बता रही है, हमारी मोहब्बत गज़ब की थी ?
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उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो, खर्च करने से पहले कमाया करो, ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे, बारिशों में पतंगें उड़ाया करो | ❤️?
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जगह देनी है तो अपनी रूह में दे दो.. यूँ दिलों में तो, बहुतों के बसते हैं हम.?
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प्यार आज भी तुझसे उतना ही है बस तुझे एहसास नहीं और हमने भी जताना छोड़ दिया
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उसे भुला दूंगा और चैन से सोऊंगा .. ये सोचते सोचते पूरी रात निकल जाती है !
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तुम्हारे बिना रह तो सकती हूँ... मगर.. खुश नहीं रह सकती
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मालूम है मुझे की ये मुमकिन नहीं मगर ? एक आस सी रहती है कि तुम याद करोगे मुझें ?
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327
पैदा तो हम भी शरीफ हुए थे, पर शराफत से अपनी कभी बनी ही नहीं?
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वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझते रहे ; नादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है
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मेरी ज़िन्दगी में तुम शामिल हो एसे, मंदिर के दरवाजे पर मन्नत के धागे हो जैसे..!❤️❤️
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दोस्त वही जो बुरे वक़्त में साथ दे वो नहीं जो वक़्त देखकर साथ दे |?
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कभी-कभी किसी से ऐसा रिश्ता भी बन जाता हैं...कि हर चीज से पहले उसी का ख्याल आता है
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ज़िकर से नहीं फ़िक्र से पता चलता है कौन अपना है ❤️
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मैंने जब भी जाने की इजाजत माँगी, उन्होंने जुबाँ से हाँ कह के निगाहों से रोक लिया !!
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यूँ ना छोड़ कर जाया करो बार-बार,अगर मैं रूठ गया तो,मेरी एक झलक को भी तरसोगी |
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जब बात जरूरत की हो तो जुबान सबकी मीठी हो जाती है।
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तेरे Online आने पर वो हरी बत्ती,? मुझे चाँद से भी ज्यादा खूबसूरत लगती हैं..!!❤️
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॥ ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः ॥
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इश्क की उम्र नहीं होती ना ही दौर होता है इश्क़ तो इश्क़ है जब होता है बेहिसाब होता है।
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हमने तो मोहब्बत कीयी थी वो भी कर लेती तो शायद इश्क कहलाता...।
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कोई रूह का तलबगार मिले तो हम भी महोब्बत कर ले… यहाँ दिल तो बहुत मिलते है,बस कोई दिल से नहीं मिलता
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शिकायत जिन्दगी से नहीं , उनसे है जो जिन्दगी में नहीं है .
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26
उम्र कुछ नहीं कहती साहब कारनामे हैसियत बताते है |
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"सुनो" ज़रा सा हक़ जाताना भी सिख लो,इश्क़ है तो बताना भी सिख लो..
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ठोकर खाया हुआ दिल है...भीड से ज्यादा तन्हाई अच्छी लगती है....
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छूकर भी जिसे छू न सके, वो चाहत होती हैं इश्क़ , कर दे फना जो रूह को, वो इबादत होती हैं इश्क़
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वो मेरा नहीं फिर भी मेरा है, ये कैसी उम्मीद ने मुझे घेरा है |❤️
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कैसे कह देते हैं लोग रात गई बात गई, यहां जमाने गुज़र जाते हैं दिल पर लगी बात को भुलाने में |
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साथ बैठने की औकात नहीं थी उसकी, जिसको मैंने सर पर बिठा रखा था..!!?
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