फैसला ! नहीं हो पा रहा, तनहा ! रात है या मै ...
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हम क्या हैं वो सिर्फ हम जानते हैं ? लोग सिर्फ हमारे बारे में अंदाजा ही लगा सकते हैं ?
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मसला तो सिर्फ अहसासों का है जनाब, रिश्ते तो बिना मिले भी सदियां गुजार देते है.
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खुद ही पागल करते हो फिर कहते हो पागल हो तुम
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भर्री महफ़िल में दोस्ती का ज़िकर हुआ , हमने तो सिर्फ आपकी और देखा और लोग वाह वाह कहने लगे
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नब्ज तो चल रही है आज भी मेरी पर, वो हकीम कहता है, मैं मर चुका हूं मोहब्बत में !
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खामोश था मैं ? तुमने कमजोर समझ लिया?
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इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम.. अब दिल दुखाने भी नहीं आते ?
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जब दिल गैरो मैं लग जाए तब अपनों मैं खामिया नजर आने लगती है
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किसी को भी नहीं चाहा मेने एक तुझे चाहने के बाद
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जीवन मैं एक बार जो फैसला कर लो तो फिर पीछे मुड़कर मत देखना क्योंकि पलट कर देखने वाले इतिहास नहीं बनाते
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जो “दोगे” वही लौट कर आएगा, चाहे वह “इज्जत” हो या “धोखा”..?
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सच्ची महोब्बत करने वाले इंसान के नसीब में सिर्फ तन्हाई लिखी होती है।
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रेस जब लंबी हो तो घोड़े चलते हैं और गधे दौड़ते हैं।
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बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं, अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती |?
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टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया, वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी |?
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सबसे बड़ा गुरु ठोकर हैं खाते जाओगे सीखते जाओगे.
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अपनी औकात में रहना सीख बेटा. वर्ना जो हमारी आँखों में खटकते है, वो श्मशान में भटकते है.??
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जरुरी ? नहीं कि ❌ आपका कुत्ता ही वफादार निकले, वक़्त आने ⏱ पर आपका ? वफादार भी कुत्ता ? निकल ? सकता_है |
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यक़ीं न आए तो इक बार पूछ कर देखो जो हँस रहा है वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा...
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यकीनन मुझे तलाशती हैं तेरी आँखें....ये बात अलग है,, तुम ज़ाहिर नही होने देते...
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क्या करोगे अब पास आकर, खो दिया तुमने बार-बार आजमा कर |??
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जरुरत नहीं है हमे आज तेरी मोहब्बत की… कल जब थी तो तुझे गुरूर बहुत था…??
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उसे क्या फर्क पड़ता है बिछड़ने क्या, सच्ची मोहबत तो मेरी थी उसकी तो नही थी
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तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है मगर मुझसे ये उम्मीद ज़िंदगी भर मत रखना
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नसीहत अच्छी देती है दुनिया अगर दर्द किसी ग़ैर का हो
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वो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है; इसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए।
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कोन कहता है कि आसुयो मे वजन नहीं होता , एक भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता है ...
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कभी सोचा नहीं था, वो भी मुझे तनहा ? कर जाएगी, जो परेशान देख कर अक्सर कहती थी, मैं हूँ ना... ❤️
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तुम किताब-ए-इश्क़ तो बनो, पन्नो पर मोहब्बत हम भर देंगे.!
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