तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना, हम ‘जान’ दे देते हैं, मगर ‘जाने’ नहीं देते !!
Copy
40
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।
Copy
233
किताबों की तरह हैं हम भी….अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश….!!
Copy
128
तुम बिन जिया जाए कैसे …कैसे जिया जाए तुम बिन…
Copy
112
"न कर मोहब्बत ये तेरे बस की बात नहीं, वो दिल मोहब्बत करते हैं जो तेरे पास नहीं!"
Copy
147
मैं तुमको सिखाना चाहता था कि प्रेम कैसे किया जाता है पर तुमने मुझे सिखा दिया कि प्रेम नही करना चाहिए।
Copy
47
एक दिन तुम्हे एहसास होगा कि क्या था मैं तुम्हारे लिए ! पर तब तक मैं तुम्हारी ज़िन्दगी से बहुत दूर जा चुका हूँगा
Copy
66
प्यार भी कितना अजीब होता है न , वो चाहे कितनी भी तकलीफ दे पर सुकून उसी के पास मिलता है
Copy
7K
न जाने क्या मासुमियत है तेरे चेहरे पर, तेरे सामने आने से ज्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है |??
Copy
96
देख ली इस दुनिया की यारी बदल गए सब बारी बारी ! ?
Copy
174
इंतज़ार मत करो जितना तुम सोचते हो ? ... जिंदगी उससे कहीं ज्यादा तेजी से निकल रही है.... ?
Copy
34
अब मुझे रास आ गई है तन्हाइयाँ... आप अपने वक़्त का अचार डाल लिजिये
Copy
17
किसी से नाराजगी इतने वक्त?️तक ना रखो कि वह तुम्हारे बगैर ही जीना सीख जाए…!!?
Copy
22
मुझे समझने के लिये ! आपका समझदार होना ज़रूरी है !!"
Copy
18
इक भाई है जिससे मुझे प्यार है वह कोई और है मेरा अनमोल यार है
Copy
427
यूँ ही कितनी आसानी से पलट जाते है कुछ लोग
Copy
70
एक्का चाहे कितना भी शातिर क्यो न हो, आख़िर रानी तो बादशाह ? की ही होती है..
Copy
43
रास्ते बदल गए हम यारों के, मगर रिश्ता आज भी वही पुराना है.
Copy
142
अगर आप ख़ुश हो तो ये दुनियाँ रंगीन लगती है...वर्ना नम आँखों से तो आईना भी धुंधला नजर आता है।
Copy
20
खो कर फिर तुम हमें पा ना सकोगे साहब हम वहाँ मिलेंगे जहाँ तुम आ ना सकोगे
Copy
21
इश्क़ सच्चा वही …जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें …
Copy
251
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा हैj, चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफ़ा है|?
Copy
33
तेरी-मेरी राहें तो कभी एक थी ही नहीं, फिर शिकवा कैसा और शिकायत कैसी
Copy
213
ख़त्म हो गए उन लोगों से रिश्ते भी, जिनसे मिलकर लगता था, ज़िन्दगी भर साथ देंगे ??
Copy
41
हम दोनों एक ही किताब में रहेंगें, तुम गुलाब के जैसे, मैं खुशबू की तरह.
Copy
20
जय श्री राधा सनेह बिहारी जी ॥
Copy
31
शाम उतरने लगी है खिड़की पर, बेसबर आँखों को चाँद का इंतजार है..!
Copy
15
वो किताब लौटने का बहाना तो लाखों में था लोग ढूंढ़ते रहे सबूत पेगाम तो आखों में था |
Copy
7
जब अपने ही परिंदे किसी और के दाने के आदी हो जाएं.. तो उन्हें आज़ाद कर देना चाहिए..?
Copy
104
बाहर से शांत दिखने के लिये अंदर से बहुत लड़ना पडता है |?
Copy
60