चाय जैसी उबल रही है ज़िंदगी मगर, हम भी हर घूँट का आनंद शौक़ से लेंगे☕
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देखने के लिए सारी कायनात भी कम, चाहने के लिए एक चेहरा भी बहुत है |?
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एक गुलदस्ता लाया था उस तितली की खातिर जो अब किसी और के बग़ीचे में उड़ती है |
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गुल गई गुलशन गई, गई होंठो की लाली, अब तो मेरा पीछा छोड़, तू हो गई बच्चो वाली। ??
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आप अच्छे है अच्छे ही रहो, बुरे है हम हमसे दूर रहो!??
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पता नहीं क्या बात है तुज में जो हर पल तुम्हे सोच कर भी मन नहीं भरता है
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बाज कभी कबूतरों के साथ उड़ान नहीं भरता..!
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तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समजा , वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही….!
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अच्छी लगती है ये खामोशियाँ भी अब हर किसी को जवाब देने का सिलसिला ख़त्म हो गया।
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सजा तो मुझे मिलनी ही थी मोहब्बत में, मैंने भी तो कई दिल तोड़े थे तुझे पाने के लिए.??
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समझ में ही नही आता कभी-कभी, ये सब क्या हो रहा जिंदगी में...बस.. चुप-चाप तमाशे देख रही हु जिंदगी के...
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कुछ पाने के लिए कुछ करना पड़ता है
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मंजिल के लिए मेहनत करते रहो, कामयाबी एक दिन जरूर मिलेगी।
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नींद भी नीलाम हो जाती है, बाज़ार-ए-इश्क में, किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता। ❤️
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लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा हैj, चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफ़ा है|?
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उसने ही जगत बनाया है कण-कण में वो ही समाया है दुख में भी सुख का अहसास होगा जब सिर पर शिव का साया है
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मैं दिसंबर और तू जनवरी रिश्ता काफ़ी नज़दीक का और अंतर साल भर का |
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अब तो इज़ाज़त लेनी होगी तुम्हे याद करने से पहले, मालिक जो बदल लिए है तुमने ।??
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न जाने क्या मासुमियत है तेरे चेहरे पर, तेरे सामने आने से ज्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है |??
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“एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना, बस फिर क्या था तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा
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मै तुमको भूल तो जाऊं मगर छोटी सी उलझन है.. सुना है... दिल से धड़कन की जुदाई मौत होती है ..!
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कितनी जल्दी फैसला कर लिया जाने का, एक मौका भी नहीं दिया मनाने का
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फितरत तो कुछ यूं भी है इन्सान की बारिश ख़त्म हो जाए तो छतरी भी बोझ लगती है ✔️
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30
इश्क़ होना था हो गया, अब किसी दूसरे का हो जाना, मुमकिन नहीं है..!
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बहुत अंदर तक जला देती है, वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..??
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17
उनकी जब मर्जी होती है तब हमसे बात करते हैं, और हम पागल पूरा दिन उनकी मर्जी का इंतज़ार करते हैं|
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खामोशियां बेवजह नहीं होती कुछ दर्द आवाज़ छीन लिया करते हैं
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समझा दो उन समझदारों को…कि कातिलों ?️ की गली में भी दहशत हमारे ? ही नाम की ही है |
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मैं जो जी रहा हूँ …वज़ह तुम हो.. वज़ह तुम हो..
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सुकून की तलाश में हम दिल बेचने निकले थे, खरीददार दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया.
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